नई दिल्ली। विवादों से घिरी सीबीआई को बेदाग बनाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर गुरूवार की शाम आपरेशन क्लीन चलाया गया जिसके तहत सीबीआई में विशेष निदेशक रहे राकेश अस्थाना समेत तीन अधिकारियो को सीबीआई से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इनमें मनीष सिन्हा नाम के वो डीआईजी भी शामिल है जिनकी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका के आधार पर एनएसए अजीत डोभाल का फोन टेप होने का मामला उठा था.
सीबीआई मे नंबर एक और नंबर दो की लडाई ने सीबीआई को उस मुकाम पर पहुंचा दिया जहां सीबीआई की विश्वसीनयता सवालों के घेरे मे आ गई और इस लडाई को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय पर भी सवाल उठने लगे थे. इसके बाद पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने फिर से कार्यभार संभाला लेकिन 48 घंटो के भीतर ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली नियुक्ति कमेटी ने उन्हें सीबीआई से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने सीबीआई को बेदाग बनाने के लिए आपरेशन क्लीन को हरी झंडी दे दी. जिसके बाद विशेष निदेशक राकेश अस्थाना संयुक्त निदेशक ए के शर्मा डीआईजी मनीष सिन्हा समेत एक एसपी को सीबीआई से बाहर कर दिया गया.
सीबीआई मे इन चारों अधिकारियों की सेवावधि कम करने के लिए कार्मिक मंत्रालय ने एक प्रस्ताव कैबिनेट कमेटी के पास भेजा था.
इन चार में से तीन अधिकारी राकेश अस्थाना एके शर्मा और मनीष सिन्हा नंबर एक और दो की लड़ाई के कारण विवादों में थे जबकि चौथे अधिकारी एसपी जयंत के बारे में बताया गया कि वो अपने काडर में पदोन्न्ति हो गए थे और उन्होने खुद सीबीआई से बाहर जाने की इच्छा जताई थी. ये तीनों अधिकारी केन्द्रीय डेपुटेशन पर है और इनका समय अभी बाकी है लिहाजा इन्हें दूसरे विभागों में तैनात किया जा सकता है. अगले सप्ताह 24 जनवरी को नए निदेशक की नियुक्ति को लेकर सलेक्ट कमेटी की बैठक होनी है.
सीबीआई मे जल्द ही नए निदेशक की तैनाती होने वाली है माना जा रहा है कि नए निदेशक ही अपनी नयी टीम बनाएंगे जिससे फिर से कोई विवाद खड़ा ना हो सके.