नई दिल्ली। दिल्ली सरकार जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) देशद्रोह मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति देने के संबंध में कानूनी सलाह ले रही है. सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और नौ अन्य लोगों के खिलाफ दायर आरोपपत्र को लेकर अदालत ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया था कि उन्होंने समुचित अनुमति/मंजूरी के बगैर उनके खिलाफ आरोपपत्र कैसे दायर कर दिया है.
शनिवार को अदालत के सवाल करने के बाद से ही दिल्ली की आप सरकार और शहर पुलिस के बीच खींचतान चल रही है. दिल्ली सरकार के सूत्रों का कहना है कि मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के लिए अदालत ने नियम तय किए हैं और उनका पालन किया जाएगा. सूत्र ने बताया, ‘‘नियमानुसार सरकार को मंजूरी देने के लिए तीन महीने का वक्त मिलता है. दिल्ली पुलिस को आरोपपत्र दायर करने में तीन साल का वक्त लगा. सरकार को फैसला लेने से पहले कानूनी सलाह लेने की अनुमति दी जानी चाहिए.’’
उन्होंने कहा, लेकिन यदि सरकार तीन महीने में कोई फैसला नहीं ले पाती है तो, इसे मुकदमे के लिए मंजूरी मिली मान लिया जाएगा. दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी को इस संबंध में आरोपपत्र दायर किया था. मामला 2016 में जेएनयू परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में देश-विरोधी नारे लगाने से जुड़ा है.
कन्हैया ने लगाए देश विरोधी नारेः पुलिस
इससे पहले पुलिस ने आरोपपत्र में कई गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए कहा है कि नौ फरवरी 2016 को विश्वविद्यालय परिसर में कन्हैया प्रदर्शनकारियों के साथ चल रहे थे और काफी संख्या में अज्ञात लोग नारेबाजी कर रहे थे. गौरतलब है कि संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरू को दी गई फांसी की बरसी पर विश्वविद्यालय परिसर में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.
तीन साल बाद दर्ज हुआ आरोपपत्र
वहीं, इस मामले में करीब तीन साल बाद आरोपपत्र दाखिल करने को लेकर भी दिल्ली पुलिस को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. इस बारे में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस तरह के मामलों में आमतौर पर इतना वक्त लग जाता है क्योंकि इसके तहत देश भर में जांच की गई और इसमें ढेर सारे रिकार्ड तथा सबूत शामिल थे.
पुलिस ने अदालत में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ 1200 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल करते हुए कहा था कि वह परिसर में एक कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे और उन पर फरवरी 2016 में विश्वविद्यालय परिसर में देश विरोधी नारों का समर्थन करने का आरोप है.