टेलीविजन शो पर महिलाओं के खिलाफ दिए गए बयान पर आलोचना झेल रहे क्रिकेट स्टार हार्दिक पांड्या और लोकेश राहुल पर भारतीय टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने अपनी राय दी है. द्रविड़ मानते हैं कि इस विवाद के बाद दोनों बेहतर खिलाड़ी के रूप में सामने आकर मैदान पर अपनी चमक बिखेरेंगे. द्रविड़ ने क्रिकइंफो से कहा, “मैं समझता हूं कि दोनों खिलाड़ियों ने अब तक अपने खेल की पराकाष्ठा नहीं हासिल की है और मौजूदा विवाद से दोनों निखरकर निकलेंगे और एक खिलाड़ी के तौर पर खेल को हर प्रारूप में अपनी काबिलियत को साबित करेंगे.”
फिल्मकार करण जौहर के कार्यक्रम-कॉफी विद करण में किए गए आपत्तिजनक बयान के बाद बीसीसीआई ने तत्काल प्रभाव से दोनों खिलाड़ियों को प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन अब वे खेल सकते हैं क्योकि बीसीसीआई ने उन पर से प्रतिबंध हटा लिया है. द्रविड़ मानते हैं कि इन दोनों खिलाड़ियों को इस खराब दौर के भुलाकर आगे देखना चाहिए और अपने खेल पर ध्यान देना चाहिए.
अपने शागिर्दों के बारे में कहा, वे आगे बेहतर होंगे
द्रविड़ ने कहा, “निश्चित तौर पर. मुझे कोई शक नहीं है. मैंने दोनों को प्रशिक्षित किया है. मैं नहीं समझता कि उस इंटरव्यू से दोनों खिलाड़ियों का असल चरित्र सामने आया है. आशा है कि ये दोनों इस खराब चैप्टर को भुलाकर आगे देखेंगे और खेल में अपनी चमक दिखाएंगे. अगर वे ऐसा करने में सफल रहे तो वे निश्चित तौर पर रोल मॉडल होंगे.”द्रविड़ मानते हैं कि खिलाड़ी और सेलिब्रिटी गलती कर सकते हैं क्योंकि यह सीखने और आगे बढ़ने का हिस्सा है.
युवाओं के खुद को खास समझने की वजह सिर्फ पैसा नहीं
द्रविड़ ने इस घटना की जड़ में जाने की कोशिश करते हुए युवाओं के बारे में भी बात की. उनका मानना है कि युवाओं के खुद को खास समझने का कारण सिर्फ रातोंरात मिली शोहरत या पैसा नहीं बल्कि शुरूआती सालों में माता पिता की जरूरत से ज्यादा मिलने वाली तवज्जो भी नुकसानदेह है. द्रविड़ ने हाल ही में एक टीवी शो पर महिला विरोधी बयान देने वाले क्रिकेटर हार्दिक पंड्या और केएल राहुल को लेकर उपजे विवाद के बाद यह बात कही.
ज्यादा पैसा नहीं, कुछ और ही होती है वजह
द्रविड़ ने इस बात से इनकार किया कि मोटी कमाई से खिलाड़ियों का चरित्र प्रभावित हो जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे पैसे से जोड़ना सही नहीं मानता. पैसा मिलने से ऐसा हो सकता है लेकिन यह अकेला कारण नहीं है. यह कम उम्र में भी हो सकता है. कई बार कम आय वाले परिवारों में अगर कोई बच्चा क्रिकेट में खास दिखता है तो परिवार की पूरी ऊर्जा उसी पर लग जाती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उस एक इंसान के लिए हर कोई कुर्बानी देने लगता है तो वह खुद को खास समझने लगता है. यह काफी कम उम्र से शुरू हो जाता है और बच्चों को लगने लगता है कि मैं खास हूं और सब कुछ मेरे लिए ही है.’’
परवरिश में भी हो सकती है समस्या
उन्होंने कहा, ‘‘खिलाड़ी गरीब हो या अमीर, अगर वह ऐसा महसूस करने लगे तो समस्या होती है. हम कई बार उसका सामना करते हैं. एनसीए पर कई कोचों ने मुझे कहा है कि कई बार सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज और बल्लेबाज सबसे खराब फील्डर होते हैं या उनकी विकेटों के बीच दौड़ खराब होती है.’’ द्रविड़ ने कहा कि खिलाड़ियों को संवारने में कोचों और माता पिता की अहम भूमिका होती है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर खिलाड़ी से उम्र छिपाने के लिए कहा जाता है तो वह गलत है. आप उसे बेईमानी सिखा रहे हैं. छोटे बच्चों के सामने यह सही मिसाल नहीं है. माता पिता का कोचों पर बरसना या कोच या अंपायर को गलत ठहराना भी सही नहीं है क्योंकि बच्चे को लगता है कि यही सही है.’’