नई दिल्ली। पुलवामा हमले के बाद जहां पूरे देश और दुनिया की निगाहें भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर लगी थी. उसी दौरान इंडियन आर्मी के जांबाज एक नए ठिकाने पर देश के दुश्मनों को ठिकाने लगा रहे थे. भारत और म्यांमार की सेना ने भारत-म्यामांर बॉर्डर पर 17 फरवरी से लेकर 2 मार्च तक एक मेगा ऑपरेशन चलाया था. इस दौरान पूर्वोत्तर में भारत के एक मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर हमले के मंसूबे को नाकाम कर दिया गया. इस प्रोजेक्ट पर म्यांमार के एक उग्रवादी संगठन टेढ़ी निगाहें थीं.
खास बात ये हैं कि पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ काफिले पर हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच टेंशन टॉप लेवल पर पहुंच गई थी. इसी दौरान 26 फरवरी को भारत ने पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट पर हमला कर जैश के आतंकी ठिकानों को नेस्तानाबूद कर दिया.
इसी दौरान इंडियन आर्मी ने म्यामांर की अराकान आर्मी पर हमला बोला. इस आर्मी को काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA) का वरदहस्त हासिल है. इस संगठन को म्यांमार की सरकार ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है. अराकान आर्मी मेगा कालादान प्रोजेक्ट पर हमले की साजिश रच रहा था. ये एक ट्रांजिट प्रोजेक्ट है जो कोलकाता के हल्दिया पोर्ट को म्यांमार के सित्वे पोर्ट (Sitwe port) से जोड़ेगा.
BREAKING @IndiaToday: Big infra project vital for North East connecting Kolkata to Mizoram via Sitwe port in Myanmar under threat. How Indian Army thwarted the danger to #KaladanProject in a 2 week operation when focus was on responding to Pak post Pulwama More updates coming up pic.twitter.com/UgEzxCoHIw
— Abhishek Bhalla (@AbhishekBhalla7) March 15, 2019
इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद मिजोरम म्यांमार से से जुड़ जाएगा. ये प्रोजेक्ट कितना अहम इसका अंदाजा इस बार से लगाया जा सकता है कि इससे म्यांमार से मिजोरम की दूरी 1000 किलोमीटर कम हो जाएगी. इसके अलावा दोनों स्थानों के बीच ट्रैवल टाइम में भी कम से कम चार दिनों की कमी आएगी.कालादान प्रोजेक्ट पर मंडराते खतरे की इंटेलिजेंस रिपोर्ट मिलने के बाद सेना ने मिजोरम के दक्षिण में म्यामांर में अड्डा बनाए आतंकियों को खदेड़ने का प्लान बनाया.
इसके लिए इंडियन आर्मी और म्यामांर आर्मी ने बड़ा ऑपरेशन शुरू किया. इसके पहले चरण में मिजोरम से सटे सीमाई इलाकों में बने नए कैंपों को नष्ट किया गया. जबकि अगले चरण में खतरनाक नागा ग्रुप (NSCN-K) के कैंप पर धावा बोला गया.
सेना के सूत्रों के मुताबिक डिप्लॉयमेंट और कवर किए गए एरिया के मामले में ये अपनी तरह का पहला ऑपरेशन था जो कि 2 सप्ताह तक चला और 2 मार्च को खत्म हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक अराकान आर्मी और KIA को चीन का समर्थन हासिल है.
इस ऑपरेशन में उग्रवादियों के तकरीबन 12 अड्डों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है. इस जमीन पर अब म्यांमार की सेना का कब्जा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले 2 सालों में KIA ने 3000 लड़ाकों को ट्रेंड किया है. ये संगठन म्यांमार के काचिन प्रांत में सक्रिय है. काचिन प्रांत चीन की सीमा से सटा है, लिहाजा चीन के लिए इन्हें ट्रेंड करना आसान था.
रिपोर्ट के मुताबिक ये 3000 उग्रवादी मिजोरम के लवांगताला जिले में अपना ठिकाना बनाने की कोशिश कर रहे थे. इन्हें यहां से खदेड़ने के लिए ही सेना ने ऑपरेशन चलाया था.इस ऑपरेशन में इंडियन आर्मी की स्पेशल फोर्स, असम राइफल्स, दूसरी इंफैंट्री यूनिट्स शामिल थी. इस ऑपरेशन में हेलिकॉप्टर्स, ड्रोन्स और दूसरे सर्विलांस उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था.
बता दें कि 9 मार्च को कर्नाटक के मंगलुरु में एक रैली को संबोधित करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पांच साल में इंडियन आर्मी ने तीन बार अपनी सीमा से बाहर जाकर एयर स्ट्राइक की है. राजनाथ सिंह ने कहा कि वे दो स्ट्राइक के बारे में ही जानकारी देंगे. गृह मंत्री ने तीसरी एयर स्ट्राइक के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया था. अब अंदाजा लगाया जा रहा है कि कहीं राजनाथ सिंह इसी हमले का जिक्र तो नहीं कर रहे थे.