नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के सातवें चरण की वोटिंग से पहले यूपीए अध्यक्ष सोनिय गांधी विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुट गईं हैं. सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं को फोन करके कहा कि 22, 23 और 24 मई को क्या आप दिल्ली में रहेंगे? इसका मतलब साफ है कि नतीजो से पहले ही सोनिया गांधी विपक्ष के नेताओं की बैठक के लिए खुद अपने कंधों पर जिम्मेदारी लेते हुए कवायद तेज कर दी है.
दरअसल कांग्रेस विपक्षी दलों की बैठक बुलाती है, ऐसे में यह साफ संदेश देने की कोशिश रहेगी कि भले ही हम सब प्री-पोल गठजोड़ का हिस्सा ना हों लेकिन हम सब मोदी के खिलाफ लड़े और एकजुट हैं. एक संदेश यह भी देने की होगी कि हमारे गठबंधन को ध्यान में रखा जाए और किसी एक दल की बजाय गठबंधन को ही सरकार बनाने का न्यौता मिलना चाहिए.
लोकसभा चुनाव अभी पूरा भी नहीं हुआ कि बीच में ही गठबंधन की पहल विपक्ष दल के नेताओं ने शुरू कर दी है. सरकार बनाने को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने कमर कसनी शुरू कर दी है. सिर्फ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ही नहीं, बल्कि थर्ड फ्रंट की भी कवायद शुरू हो गई है.
लोकसभा चुनाव के नतीजे 23 मई की आएंगे. ऐसे में अगर इस चुनाव में किसी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, तो देश का सियासी समीकरण पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक बदल जाएगा. इसीलिए कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी पूरी तरह से सक्रिय हो गई हैं. पिछले दिनों आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायड ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी. इस दौरान दिल्ली में विपक्षी दलों को 21 मई को बैठक करने की योजना बनाई है.
सोनिया गांधी से पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर लोकसभा चुनाव की सियासी नब्ज को समझते हुए गठबंधन की कवायद शुरू कर दी है. इस कड़ी में उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री और माकपा नेता पिनरई विजयन से मुलाकात करके राजनीतिक हालात पर चर्चा की. ऐसे ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने गठबंधन का जाल बुनने में जुट गए हैं.
नायडू ने पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी. नायडू ने राहुल के साथ सातों चरण के चुनाव निपटते ही और नतीजे से पहले 21 मई को विपक्षी दलों की बैठक बुलाने की योजना पर चर्चा की. दिलचस्प बात यह है कि नायडू और केसीआर से पहले बीजेपी के कुछ नेता और उसके सहयोगी दल भी यह मानकर चल रहे हैं कि नरेंद्र मोदी इस बार बहुमत का जादुई आंकड़ा छू नहीं पाएंगे.