कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विरूपित तस्वीर कथित रूप से सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में गिरफ्तार भाजपा की महिला कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की रिहाई हो गई है. रिहाई के बाद प्रियंका ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मुझे 18 घंटे तक जेल में रखा गया, जो कि तृणमूल कांग्रेस की मनमानी को दर्शाता है.
प्रियंका ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार लोगों के साथ गलत कर रही है. उन्होंने कहा, मैं मांफी नहीं मांगूगी, मैंने केस किया और मैं इसके लिए लडूंगी.
जबरन लिखवाया गया माफीनामा
मीडिया को संबोधित करते हुए प्रियंका ने कहा कि सुधारक गृह से रिहाई के दौरान उनसे जबरन माफी नामा लिखवाया गया है. उन्होंने कहा कि जेलर ने मुझे जेल के अंदर धक्का दिया. प्रियंका शर्मा ने दावा किया कि जिस दौरान वह सुधारक गृह में थी, इस दौरान उनके परिवार के सदस्यों और वकील को नहीं मिलने दिया गया. उन्होंने कहा कि रिहाई से कुछ वक्त पहले मुझसे माफीनामे पर जबरन हस्ताक्षर करवाए गए.
कोर्ट ने दिया था तुरंत रिहाई का आदेश
बता दें कि 14 मई को कोर्ट में सुनवाई के दौरान, पश्चिम बंगाल सरकार को तुरंत प्रियंका को रिहा करने का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाश कालीन पीठ ने भाजपा युवा मोर्चा की नेता प्रियंका शर्मा को जमानत देते हुए कहा था कि जेल से रिहाई के वक्त् उन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विरूपित तस्वीर कथित रूप से साझा करने ने के लिये लिखित में माफी मांगनी होगी. पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी वहां खत्म हो जाती है जब वह दूसरे के अधिकारों का अतिक्रमण कर रही हो.
प्रियंका शर्मा ने शेयर की थी ममता की विवादित तस्वीर
बीजेपी युवा मोर्चा की नेता प्रियंका शर्मा ने फेसबुक पर एक ऐसी फोटो कथित रूप से साझा की थी जिसमें न्यूयॉर्क में ‘मेट गाला’ समारोह में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ाकी तस्वीर में फोटोशॉप के जरिए ममता का चेहरा लगाया गया था.प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी और सोशल मीडिया के अन्य यूजर ने इसका जोरदार विरोध किया है.
इस वजह से मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
प्रियंका शर्मा को तृणमूल कांग्रेस के नेता विभास हाजरा की शिकायत पर पश्चिम बंगाल पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत 10 मई को गिरफ्तार किया था. पश्चिम बंगाल में स्थानीय अदालतों में 14 मई तक पूर्ण हड़ताल होने के कारण ही बीजेपी की गिरफ्तार इस कार्यकर्ता को अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा. इसके बाद पीठ इस मामले की मंगलवार को सुनवाई के लिये तैयार हो गई थी.