नई दिल्ली। भारतीय जनता युवा मोर्चा की पश्चिम बंगाल इकाई की कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की रिहाई के मामले में बुधवार को फिर पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट में नीचा देखना पड़ा. शीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा कि अदालती ‘आदेश के बावज़ूद उन्हें (प्रियंका शर्मा को) को अब तक रिहा क्यों नहीं किया गया? यह ठीक बात नहीं है.’ अदालत ने उसका आदेश न मानने पर सरकार के ख़िलाफ़ अवमानना की कार्यवाही की चेतावनी भी दी. इसके बाद प्रियंका शर्मा को रिहा कर दिया गया.
प्रियंका शर्मा पश्चिम बंगाल भाजपा की युवा इकाई की संयोजक हैं. उन्होंने पिछले दिनों राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तस्वीरों से छेड़छाड़ कर उन्हें सोशल मीडिया पर डाला था. इसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने उन्हें 10 मई को ग़िरफ़्तार कर लिया. उनकी ओर से इस ग़िरफ़्तारी का मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया. शीर्ष अदालत की जस्टिस इंदिरा बनर्जी के नेतृत्व वाली बेंच ने इसी मंगलवार को उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था. लेकिन इस शर्त के साथ कि वे रिहाई से पहले अपने कृत्य के लिए लिखित माफ़ीनामा देंगी.
इस पर बुधवार को प्रियंका शर्मा के वकील एनके कौल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनकी ‘मुवक्किल पर बंगाल पुलिस की ओर से लिखे गए माफ़ीनामे पर दस्तख़त के लिए दबाव बनाया जा रहा है. उन्हें शीर्ष अदालत के आदेश के 24 घंटे बाद भी अब तक रिहा नहीं किया गया है. यह विचलित कर देने वाली स्थिति है.’ इस पर बंगाल सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि प्रियंका शर्मा को 10 बजे के क़रीब रिहा किया जा रहा है. तब अदालत ने सख़्ती से सवाल किया, ‘अभी क्यों नहीं?’ और उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश दिया.