ईरान से तल्ख रिश्ते, चीन के साथ ट्रेड वॉर समेत दुनिया में कई बड़ी समस्याओं में उलझे अमेरिका में मंगलवार को बड़ी राजनीतिक उठापटक हुई. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन को बर्खास्त कर दिया और जल्द ही नए NSA के ऐलान की बात कही. ट्रंप ने दो ट्वीट कर बोल्टन की बर्खास्तगी का ऐलान किया और साफ कर दिया कि उनकी और जॉन बोल्टन की नीतियां मेल नहीं खातीं.
जॉन बोल्टन की गिनती अमेरिका के उन नौकरशाहों में होती है, जो अपनी नीति को लागू करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. फिर चाहे बात युद्ध की ही क्यों ना हो. ईरान, नॉर्थ कोरिया, अफगानिस्तान में अमेरिका का सख्त रुख उनकी ही देन है और इन्हीं के चलते उनके और डोनाल्ड ट्रंप के बीच विवाद हुआ और अंतत: उन्हें पद छोड़ना पड़ा.
जॉन बोल्टन 15 साल की उम्र से ही रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक रहे हैं और रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बैरी गोल्डवाटर (1964) के लिए बोल्टन ने स्कूल में प्रचार किया था. उसके बाद से ही वह लगातार इस पार्टी के लिए काम करते रहे और पिछले 2-3 दशकों से नीतिगत फैसलों का हिस्सा रहे.
– 1998 में जॉन बोल्टन अमेरिका की एजेंसी न्यू अमेरिकन सेंचुरी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे हैं, जिन्होंने ईरान के साथ युद्ध का समर्थन किया था.
– नॉर्थ कोरिया के साथ बीते दिनों डोनाल्ड ट्रंप ने दोस्ती के कदम उठाए थे, लेकिन जॉन बोल्टन की नीति अलग है. बोल्टन का मानना रहा है कि अमेरिका को बिना देरी किए नॉर्थ कोरिया पर स्ट्राइक करनी चाहिए, नहीं तो वह खतरा बन सकता है.
– बीते दिनों जब ट्रंप-किम जोंग उन की मुलाकात रद्द हुई तो उसके पीछे जॉन बोल्टन की नीति ही थी. क्योंकि जॉन बोल्टन ने नॉर्थ कोरिया के सामने कई कठिन शर्तें रख दी थीं.
– ईरान और अमेरिका के बीच इस वक्त परमाणु डील को लेकर तल्खी चल रही है. जॉन बोल्टन की ईरान को लेकर एक ही नीति है अगर वह ना माने तो बम बरसा देने चाहिए. बोल्टन की इसी नीति की वजह से डोनाल्ड ट्रंप ने अपने विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन को हटा दिया था.
– जब बराक ओबामा ने 2015 में ईरान के साथ परमाणु डील पर बात करनी शुरू की थी, तो जॉन बोल्टन ने इसका काफी विरोध किया था. और न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख में लिखा था कि अब वक्त आ गया है कि एक्शन शुरू किया जाए.
– ‘संयुक्त राष्ट्र की कोई जरूरत नहीं है’, ये मानना था जॉन बोल्टन का. जब जॉन बोल्टन को जॉर्ज बुश ने संयुक्त राष्ट्र में एंबेसडर बनाकर भेजा तो उन्होंने एक भाषण में कहा कि दुनिया को UN की जरूरत नहीं है, दुनिया को समय आने पर ताकतवर देश दिशा दिखा सकते हैं. और अमेरिका सबसे ताकतवर है.
इनके अलावा भी कई ऐसे मसले हैं, जहां पर जॉन बोल्टन की नीति काफी अलग रही है. भले ही दुनिया डोनाल्ड ट्रंप को आक्रामक मानती हो, लेकिन जॉन बोल्टन कहीं आगे हैं. उनकी चले तो वह ईरान, सीरिया, वेनेजुएला, यमन, क्यूबा और नॉर्थ कोरिया में सत्ता परिवर्तन करवा दें और अगर ऐसा ना हो तो इसके लिए वह युद्ध भी कर सकते हैं.