नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकप्रियता के मामले में अपने प्रतिद्वंद्वियों से कहीं आगे हैं. लेकिन जहां तक योगी सरकार के कामकाज का सवाल है तो 41 फीसदी प्रतिभागी इससे संतुष्ट हैं तो 37 फीसदी नाखुशी जता रहे हैं. ये निष्कर्ष इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) के तीसरे संस्करण से निकल कर आया है.
राफेल डील के बारे में कितने लोग जानते हैं
सर्वे के मुताबिक जिस राफेल डील को लेकर केंद्र की राजनीति गर्म है और कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रही है, उस राफेल डील के बारे में देश के सबसे बड़े सूबे के 79% प्रतिभागी कुछ नहीं जानते. जिन वोटरों को राफेल डील के बारे में जानकारी है, उनमें से 82 फीसदी का कहना है कि केंद्र सरकार को ये सार्वजनिक नहीं करना चाहिए कि फ्रांस से राफेल विमान कितने में खरीदा गया.
राजनीतिक नब्ज़ पर नज़र रखने वाले देश के पहले और इकलौते साप्ताहिक कार्यक्रम PSE के मुताबिक योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के लिए लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. चुनावी सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 43 फीसदी प्रतिभागियों ने योगी को वोट दिया. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को 29 फीसदी प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायावती को 18 फीसदी प्रतिभागियों ने मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद बताया.
हालांकि योगी और बीजेपी के लिए ये चिंता की बात होगा कि सर्वे में 47 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि अगर समाजवादी पार्टी और बीएसपी में महागठबंधन होता है तो इससे बीजेपी को नुकसान होगा. वहीं 32 फीसदी लोगों की राय थी कि महागठबंधन से बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होगा. जबकि 21 फीसदी प्रतिभागी ऐसे थे जिन्होंने कहा कि इस बारे में वो पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकते.
41 फीसदी योगी सरकार के कामकाज से संतुष्ट
PSE के निष्कर्षों के मुताबिक सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 41 फीसदी प्रतिभागी योगी सरकार के कामकाज से संतुष्ट दिखे. वहीं 37 प्रतिशत ने योगी सरकार के कामकाज पर नाखुशी जताई और 20 फीसदी ने इसे औसत बताया. इंडिया टुडे-एक्सिस-माई-इंडिया PSE सर्वे उत्तर प्रदेश के 80 संसदीय क्षेत्रों में लिए गए टेलीफोन साक्षात्कारों पर आधारित है. उत्तर प्रदेश के लिए सर्वे में कुल 30,400 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. ये सर्वे 15 सितंबर से 19 सितंबर के बीच किया गया.
PSE के मुताबिक जब उत्तर प्रदेश के अहम मुद्दों के बारे में प्रतिभागियों से पूछा गया तो उन्होंने सबसे बड़े मुद्दे के तौर पर बेरोजगारी का नाम लिया गया. इसके बाद उन्होंने नाला/नाली/साफ-सफाई, किसानों-खेतिहर मजदूरों की समस्याएं, महंगाई, पीने का पानी अन्य अहम मुद्दों के तौर पर गिनाया.
सर्वे में जब देश के अगले प्रधानमंत्री के लिए पसंद के बारे में पूछा गया तो राज्य से 48% प्रतिभागियों ने नरेंद्र मोदी के पक्ष में वोट दिया. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 22% प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री के तौर पर पहली पसंद बताया. सर्वे में 9 फीसदी लोगों ने मायावती को भी प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी पसंद बताया.
जहां तक केंद्र में मोदी सरकार के कामकाज का सवाल है तो उत्तर प्रदेश में सर्वे के 53 फीसदी प्रतिभागी इससे संतुष्ट दिखे. 28 फीसदी प्रतिभागियों ने मोदी सरकार के कामकाज पर नाखुशी जताई. वहीं 16 फीसदी प्रतिभागियों ने मोदी सरकार के कामकाज को औसत बताया.
पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों पर
पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों के बारे में पूछे जाने पर सर्वे में 87% प्रतिभागियों ने कहा कि केंद्र सरकार को टैक्स कम करके लोगों को पेट्रोल के दामों में राहत देनी चाहिए. वहीं 6 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि केंद्र सरकार को पेट्रोल पर टैक्स नहीं घटाने चाहिए. राफेल डील के बारे में सर्वे में यूपी के 79 प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. सिर्फ 21 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी है. जिन्हें राफेल डील की जानकारी थी उनमे से 82 फीसदी प्रतिभागी इस राय के थे कि केंद्र सरकार को ये सार्वजनिक नहीं करना चाहिए कि फ्रांस से राफेल विमान कितने में खरीदा गया. वहीं 18 % ने कहा कि सरकार को ये बताना चाहिए कि राफेल विमान कितने में खरीदा गया.
2017 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में 403 सदस्यीय सदन में BJP को 312 सीट पर जीत हासिल हुई थी. समाजवादी पार्टी को 47 और BSP को 19 सीट पर कामयाबी मिली थी. समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को सिर्फ 7 सीट पर ही जीत का मुंह देखने को मिला था.
PSE के निष्कर्षों में उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है. सर्वे के 35 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि वे त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के कामकाज से असंतुष्ट हैं. 30 फीसदी प्रतिभागी ही राज्य में मौजूदा बीजेपी सरकार से संतुष्ट दिखाई दिए. वहीं 29 फीसदी प्रतिभागियों ने सरकार के कामकाज को औसत बताया. हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के लिए लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. सर्वे के 38 फीसदी प्रतिभागियों ने मुख्यमंत्री के तौर पर त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक कार्यकाल और देने के पक्ष में वोट दिया. लेकिन लोकप्रियता के मामले में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मौजूदा मुख्यमंत्री से ज्यादा पीछे नहीं हैं. हरीश रावत को 31 फीसदी प्रतिभागियों ने मुख्यमंत्री के तौर पर पहली पसंद बताया.
जहां तक लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के लिए पसंद का सवाल है तो इंडिया टुडे-माई-इंडिया PSE सर्वे के मुताबिक उत्तराखंड में 57% प्रतिभागियों ने नरेंद्र मोदी को एक और कार्यकाल देने के पक्ष में वोट दिया. सर्वे में 32% प्रतिभागियों ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के तौर पर पहली पसंद बताया.
केंद्र में मोदी सरकार के कामकाज को लेकर उत्तराखंड के 45 फीसदी वोटर संतुष्ट हैं. सर्वे में 24 फीसदी प्रतिभागी मोदी सरकार के कामकाज से नाखुश दिखे. वहीं 23% ने मोदी सरकार के कामकाज को औसत बताया.
पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों पर
पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों के बारे में पूछे जाने पर सर्वे में 85% प्रतिभागियों ने कहा कि केंद्र सरकार को टैक्स कम करके लोगों को पेट्रोल के दामों में राहत देनी चाहिए. जबकि 9 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि टैक्स नहीं घटाना चाहिए. राफेल डील के बारे में सर्वे में यूपी के 69 प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. सिर्फ 31 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी है. जिन्हें राफेल डील की जानकारी थी उनमे से 79 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि फ्रांस से राफेल विमान कितने में खरीदा गया, इसे केंद्र सरकार को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए. वहीं 21% ने कहा कि सरकार को ये बताना चाहिए कि राफेल विमान कितने में खरीदा गया.
PSE सर्वे के मुताबिक उत्तराखंड के लोगों के लिए गांवों को जोड़ने वाली सड़कों की हालत सबसे बड़ा मुद्दा है. इसके बाद क्रम से बेरोजगारी, महंगाई, पीने का पानी, नाला/नाली/सफाई जैसे मुद्दे आते हैं. उत्तराखंड के लिए PSE सर्वे में राज्य के 5 संसदीय क्षेत्रों मे 2052 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.
2017 में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में 70 सदस्यीय सदन में बीजेपी को 56 सीट पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस को 11 और निर्दलीयों को 2 सीट पर कामयाबी मिली थी.