टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री (Ravi Shastri) को एक बार फिर से नियुक्ति की प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है. वह भी बिना किसी कसूर के. शास्त्री हाल ही में 2021 में भारत में होने वाले वर्ल्ड टी20 तक टीम इंडिया के कोच नियुक्त किया गया था. इस नियुक्ति की वजह उनके चयन प्रक्रिेया में शामिल रही उन्हें चुनने वाली क्रिकेट सलाहकार समिति (CAC) के हितों के टकराव के मामले मे दोषी होने की संभावना के चलते बताई जा रही है.
नीति अधिकारी दोषी पा सकते हैं. बीसीसीआई के नीति (एथिक्स) अधिकारी डीके जैन यदि हितों के टकराव मामल में क्रिकेट सलाहकार समिति दोषी पाते हैं तो ऐसे में रवि शास्त्री को दोबारा नियुक्त करने की नौबत आ सकती है. दरअसल सीएसी ने हाल ही में रवि शास्त्री को टीम इंडिया के हेड कोच के लिए चुना था. इसके साथ ही शास्त्री का कार्यकाल 2021 तक बढ़ा दिया गया था.
नोटिस भेजा गया है तीनों सदस्य को
जैन ने शनिवार को ही सलाहकार समिति के तीनों सदस्य कपिल देव, अंशुमान गायकवाड़ और शांता रंगा स्वामी को हितों के टकराव के मामले में नोटिस भेजा है. जैन ने तीनों से एमपीसीए के जीवनपर्यंत सदस्य संजीव गुप्ता के उस खत का जवाब देने को कहा है जिसमें इन तीनों को लेकर आरोप लगा है कि इन तीनों ने लोढ़ा समिति के प्रस्ताव एक व्यक्ति एक पद का उल्लंघन किया है.
बीसीसीआई के नए संविधान का कानून आ सकता है आड़े
बोर्ड के एक अधिकारी का कहना है कि शास्त्री को बेवजह शर्मिंदगी उठाते हुए दोबारा नियुक्ति प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है यदि जैन ने पाया कि सीएसी के सदस्यों को हितों के टकराव के मामले में दोषी पाए जाते हैं. अधिकारी ने कहा, “जाहिर है कि इसके कारण शास्त्री को हेड कोच की नियुक्ति प्रक्रिया से एक बार फिर से गुजरना पड़ेगा यदि उन्हें नियुक्ति करने वाली समिति में हितों का टकराव पाया जाता है. इसके बाद नई समिति का गठन होगा और पूरी प्रक्रिया बीसीसीआई के नवगठित संविधान के तहत फिर से करनी होगी. बीसीसीआई का नया कानून साफ कहता है कि सीएसी ही टीम इंडिया के कोच की नियुक्ति कर सकती है.
डब्ल्यू वी रमन पर भी गिर सकती है गाज
अधिकारी ने कहा आगे कहा कि ऐसा ही कुछ महिला टीम इंडिया के कोच डब्ल्यू वी रमन के साथ भी हो सकता है. रमन की नियुक्ति के बाद जैन को प्रशासकों की समिति ने सलाह मांगी थी. यह देखना होगा कि रमन के मामले में जैन का फैसला क्या आाता है. उस समय प्रशासकों की समिति में अंतरिम सलाहकार समिति की नियुक्ति को लेकर मतभेद थे. रमन के मामले में डायना एडुल्जी ने अंतरिम सीएसी की नियुक्ति का विरोध किया था. इसके अलावा उन्होंने शास्त्री की नियुक्ति से पहले भी सीएसी को लेकर विरोध जताया था.
तब एडुल्जी ने कहा था, नीति (एथिक्स) अधिकारी को समिति को नियुक्त करने से पहले क्लीन चिट देने के लिए कहा जाना जाहिए. रमन के मामले में निर्णय में 1-1 से विभाजन था जबकि शास्त्री की नियुक्ति के मामले में निर्णय 2-1 रहा था.