लखनऊ। गौतमबुद्धनगर (नोएडा) एसएसपी प्रकरण में विशेष जांच दल (एसआईटी) की पड़ताल पूरी हो गई है। जांच रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है और अगले सप्ताह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश शासन को सौंपी जा सकती है। पूरे प्रकरण में आरोपों से घिरे आईपीएस अधिकारियों और अन्य की भूमिका को लेकर एसआईटी की टिप्पणी बेहद महत्वपूर्ण होगी। हालांकि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे पांच आईपीएस अधिकारियों ने अपने बयानों में शिकायती पत्र के तथ्यों को निराधार होने का दावा किया था।
गौतमबुद्धनगर के तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण के गोपनीय पत्र लीक होने के मामले में शासन ने नौ जनवरी को डीजी विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी (कार्यवाहक डीजीपी) की अध्यक्षता में एसआइटी गठित कर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के निर्देश दिए थे। एसआईटी ने निलंबित आइपीएस अधिकारी वैभव कृष्ण के अलावा भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे आइपीएस अधिकारी सुधीर कुमार सिंह, हिमांशु कुमार, गणेश प्रसाद साहा, राजीव नारायण मिश्रा व डॉ.अजय पाल शर्मा से पूछताछ करने के अलावा कई अन्य पुलिसकर्मियों के भी बयान दर्ज किए हैं।
वाट्सएप चैट के आधार पर उनसे कई बिंदुओं पर सवाल-जवाब किए गए थे। मुख्य सचिव के मीडिया कार्यालय के निदेशक दिवाकर खरे, पीसीएस अधिकारी गुलशन कुमार व पीसीएस अधिकारी रजनीश व कुछ निजी व्यक्तियों की भूमिका की भी पड़ताल की गई है। बताया गया कि एसआईटी अध्यक्ष के अलावा सदस्य आइजी एसटीएफ अमिताभ यश व उप्र जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठलवाल के हस्ताक्षर के बाद जांच रिपोर्ट शासन को सौंपे जाएगी।
बता दें कि बीते दिनों गौतमबुद्धनगर के तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण का एक वीडियो वायरल हुआ था। वैभव कृष्ण ने वायरल वीडियो को लेकर गौतमबुद्धनगर में एफआईआर भी दर्ज कराई थी और एक जनवरी को प्रेसवार्ता की थी। इसके बाद ही उनकी ओर से शासन को लिखा गया गोपनीय पत्र भी लीक हो गया था। प्रकरण में शासन ने जांच के बाद बड़ी कार्रवाई की थी। वैभव कृष्ण को निलंबित किए जाने के साथ ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे पांचों आईपीएस अधिकारियों को भी उनके पदों से हटा दिया गया था। शासन ने गोपनीय पत्र लीक मामले की जांच के लिए डीजी विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी (अब कार्यवाहक डीजीपी) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की थी। एसआईटी में आइजी एसटीएफ अमिताभ यश व उप्र जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठलवाल बतौर सदस्य शामिल हैं।