अमेरिका कोरोनावायरस का हॉटस्पॉट बन चुका है । 6 लाख से ज्यादा संक्रमित नागरिक और 28 हजार मौतों का आंकड़ा किसी भी देश के लिए मौजूदा हालात में सबसे बड़ी क्षति मानी जा सकती है । इन बढ़ते आंकड़ों के बीच अमेरिका की चीन से नाराजगी भी खुलकर साकने आ रही है, जिसका खामियाजा विश्व स्वास्थ्य संगठन को उठाना पड़ा है । अमेरिका ने ना सिर्फ WHO के फंड रोक दिए हैं बल्कि अब और भी हमलावर होते हुए गंभीर आरोप लगा दिए हैं ।
चीन का समर्थन क्यों ?
अमेरिकी प्रशासन की ओर से एक बार फिर WHO पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं । सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि अमेरिका विश्व स्वासथ्य संगठन को दुनिया में सबसे ज्यादा फंडिंग करता है, बावजूद इसके WHO खुलकर चीन के समर्थन में काम कर रहा है । अमेरिका का आरोप है कि WHO ने डॉक्टर और जानकारों की चेतावनी के बावजूद भी चीन के उस दावे का पक्ष लिया जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस के इंसानों से इंसानों में न फैलने की बात कही थी ।
मिली थी रिपोर्ट – यूएस
अमेरिका का दावा है कि ताइवान ने 31 दिसंबर को ही WHO को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें कोरोना वायरस के छूने से फैलने का दावा किया गया था लेकिन उसे छुपा लिया गया । इन खबरों के बीच जानकारों को अमेरिका के दावों में सच्चाई नज़र आती है । मिड जनवरी तक कोरोना के हजारों मामले सामने आने के बावजूद WHO लगातार चीन के प्रयासों की तारीफ कर रहा था । WHO की ओर से ये भी दावा किया गया था कि चीन में कोरोना के इंसान से इंसान में फैलने का कोई मामला सामने नहीं आया है ।
वुहान में लोग हो रहे थे संक्रमित
लेकिन जब ये खबर विश्व स्वास्थ्य संगठन कर रहा था तब भी चीन के वुहान अस्पताल के डॉक्टर्स ने ही दुनिया के लिए चेतावनी जारी कर दी थी । इस सब के बाद 22 जनवरी को WHO ने कोरोना को एक पब्लिक इमरजेंसी घोषित किया, लेकिन तब तक चीन में कोरोना संक्रमण के 50 हज़ार से ज्यादा मामले सामने आ चुके थे और संभवत: संक्रमित लोग दुनिया भर में फैल चुके थे । हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग रोकने के फैसले की दुनिया भर में आलोचना भी हो रही है ।