गलवन घाटी में भारत से टकराव के बहाने अमेरिका को कड़ा संदेश देना चाहता है चालबाज चीन

न्यूयार्क। जिस हफ्ते पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में निहत्थे भारतीय सैनिकों पर चीनी सैनिकों ने धोखे से वार किया उसी हफ्ते चीन की एक पनडुब्बी जापान की समुद्री सीमा में घुस गई। चीनी पनडुब्बी से जापानी सुरक्षा तंत्र में हलचल मचना स्वाभाविक था। ताइवान की हवाई सीमा में चीनी बमवर्षक विमानों की घुसपैठ आए दिन की बात है।

धौंसपट्टी दिखाने के पीछे चीन का मंसूबा अमेरिका को संदेश देना है

जब दुनिया कोरोना में उलझी थी चीनी फौज पड़ोसियों की सीमा में घुसपैठ करने में लगी थी

दरअसल जब दुनिया कोरोना के कारण अपनी समस्याओं में उलझी हुई थी चीन की फौज पड़ोसियों की सीमा में घुसपैठ करने में लगी थी। उसका यह काम बसंत में शुरू हुआ और गर्मियों में भी जारी रहा। उसकी इस हरकत पर जब ध्यान गया तो कई एशियाई देशों के साथ वाशिंगटन में भी खतरे की घंटी बजने लगी।

चीन अब अमेरिका से भी सीधा टकराव ले सकता है

खास बात यह है कि चीन की इस धींगामुश्ती में एक अजीब तरह का आत्मविश्वास झलक रहा है। ऐसा लग रहा है कि वह अब कोरोना और हांगकांग में अपनी राष्ट्रीय अस्मिता के लिए अमेरिका से भी सीधा टकराव ले सकता है।

मेरे सारे सैन्य अभियान रक्षात्मक हैं, चीन का दावा

चीन का दावा है कि हाल के उसके सारे सैन्य अभियान रक्षात्मक हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि सभी अभियानों में बड़े सैन्य टकराव के हालात बन सकते हैं भले ही उसकी ऐसी मंशा न हो। भारत की गलवन घाटी में 15 जून की रात चीनी व भारतीय सैनिकों के बीच 1967 के बाद से सबसे बड़ा खूनी संघर्ष हुआ। चीन की सरकार और मीडिया ने हालांकि मरने वाले अपने सैनिकों की जानकारी नहीं दी, लेकिन बताया जाता है कि 1979 में चीन-वियतनाम युद्ध के बाद पहली बार चीनी सैनिक किसी संघर्ष में मारे गए।

चीन के एक रक्षा विशेषज्ञ बू सिचुआन ने बीजिंग में एक कांफ्रेंस में क्षेत्र में अमेरिकी सेना की गतिविधियों पर एक रिपोर्ट में कहा कि मेरी समझ में दोनों देशों के बीच दुर्घटनावश एक गोली चलने भर की देर है।

क्षेत्रीय शक्तियों के मुकाबले चीन की ताकत काफी तेजी से बढ़ रही है

चीन अब तक अपने हितों और सीमाओं की रक्षा काफी बलपूर्वक करता रहा है, लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह इस काम में सेना का प्रयोग कर रह है वैसा पहले नहीं देखा गया। आस्ट्रेलिया के कैनबरा शहर स्थित चाइना पालिसी सेंटर के निदेशक एडम नी के अनुसार अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के मुकाबले चीन की ताकत काफी तेजी से बढ़ रही है। यही वजह है चीन को प्रतिद्वंद्वियों पर अपनी मर्जी थोपने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने का मौका मिल जाता है।

नौसेना, वायुसेना और साइबर युद्ध पर चीन ज्यादा फोकस कर रहा

चीन में 1990 से सेना के आधुनिकीकरण का जो दौर शुरू हुआ था उसका असर हाल के दिनों में चीन की सैन्य गतिविधियों में देखने को मिला। चीन के शासक शी चिनफिंग की देखरेख में सेना में शीर्ष स्तर पर भ्रष्ट और गैर वफादार अफसरों को हटाने का अभियान लगातार चलता रहा है। सेना की जमीनी लड़ाई में मजबूती के बजाय अब नौसेना, वायुसेना और साइबर युद्ध के मिले जुले रूप पर चीन ज्यादा फोकस कर रहा है।

महामारी के दौर में भी बढ़ाया रक्षा खर्च, चीन का रक्षा बजट 180 अरब डालर का

चीन अपने सैनिक ताकत बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है। कोरोना काल में भी उसकी सामरिक तैयारियों में कोई कमी नहीं रही। इस बार के रक्षा बजट में उसने भारी भरकम 6.6 फीसद की वृद्धि की है। इस बार का उसका रक्षा बजट लगभग 180 अरब डालर का रहा है। यह रक्षा बजट अभी अमेरिका के रक्षा बजट का एक चौथाई ही है। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में बजट भाषण के दौरान चिनफिंग ने कहा था कि अपने सैन्य अभियानों के लिए हमें सेना को बेहतर बनाना होगा।

अपना लड़ाकू जहाजी बेड़ा बढ़ाकर अमेरिकी नौसेना के लिए पेश की चुनौती

चीन की सेना वैसे तो कई मामलों में अमेरिकी सेना से बहुत पीछे है, लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां वह अमेरिकी सेना से आगे निकल गई है। अमेरिकी के पास लड़ाकू जहाज जहां 285 हैं वहीं चीन ने अपने लड़ाकू जहाजों की तादाद बढ़ाकर 335 कर ली है। ऐसी रिपोर्ट है कि प्रशांत महासागर के पास चीन ने अपना दबदबा कायम कर अमेरिकी नौसेना के लिए चुनौती पैदा कर दी है।

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