हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें साक्षी नाम की एक महिला पुलिस-प्रशासन और स्थानीय बूचड़खाने पर गंभीर आरोप लगा रही थी। उसका दावा था कि आसपास के इलाकों में बूचड़खाने चलाने वाले लोग उसे और उसके कुत्तों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। इनसे निपटने के लिए उसने जनता से मदद माँगी थी।
उसने इंदौर की तिलक नगर पुलिस पर लापरवाही, निष्क्रियता और गलत व्यवहार करने का भी आरोप लगाया था। महिला ने स्थानीय लोगों पर उत्पीड़न और धमकी देने का आरोप लगाया है। साथ ही पुलिस पर भी कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया।
वीडियो में उसने अपनी कमाई से 40-45 विकलांग आवारा कुत्तों को आश्रय प्रदान करने का दावा किया था। उसने स्थानीय बूचड़खाना चलाने वालों पर आरोप लगाया कि पिछले कई महीनों से यहाँ के लोग उसे परेशान कर रहे हैं। कुछ महीने पहले भी उसके साथ मारपीट हुई और मारने की धमकी दी गई।
महिला ने वीडियो में आगे कहा, “पिछले 10 महीनों से ये लोग मेरे घर के बाहर ड्रग्स ले रहे हैं। शाम 5 बजे के बाद इन लोगों ने मेरा घर से बाहर निकलना मुश्किल कर दिया है। जब मैंने इसकी शिकायत तिलक नगर पुलिस स्टेशन में की तो उन्होंने कहा कि ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि मेरे घर में कोई पुरुष नहीं हैं, मैं अविवाहित हूँ और घर में कुत्ते हैं।”
महिला ने दावा किया कि बूचड़खाने चलाने वालों ने उसके कुत्ते की हत्या कर दी थी और शव पोस्टमार्टम के बाद गायब हो गया था। उसने कहा कि उसका एक और पिल्ला गायब है। महिला का कहना है कि यदि वो घर छोड़कर कहीं और जाती है तो उसके पालतू कुत्ते बेघर हो जाएँगे।
महिला द्वारा लगातार पुलिस ‘निष्क्रियता’ का आरोप लगाने के बाद सोमवार (जुलाई 27, 2020) को भारत के सबसे बड़े पशु कल्याण संगठन पीपुल्स फॉर एनिमल्स ने इंदौर पुलिस का एक वीडियो साझा किया। इसमें पुलिस के हवाले से कहा गया, “उनकी प्राथमिक चिंता यह थी कि पशुपालक अपने पशुओं को क्षेत्र में चराने जाते थे, जिससे उनके कुत्तों को असुविधा होती थी। हमने अपने अधिकारियों को इस मुद्दे को हल करने का निर्देश दिया है।”
‘निष्क्रियता’ के दावों को खारिज करते हुए, इंदौर पुलिस ने बताया कि शोभा राम के खिलाफ 9 मार्च को मामला दर्ज किया गया था। इंदौर पुलिस के अनुसार, उसकी शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 112, 323, 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने कहा गया कि आरोपित को गिरफ्तार कर लेने के बावजूद ‘डॉग लवर’ ने पुलिस के खिलाफ आधारहीन आरोप लगाया।
पुलिस ने खुलासा किया, “उसकी जान को कोई खतरा नहीं है। हमने पूछताछ के लिए आरोपित शोभा राम और सुरक्षा गार्ड रति राम को चौक पर बुलाया है। हमने उसके लापता पिल्ला के बारे में भी पूछताछ की है। गार्ड कई अवसरों पर महिला के लिए पालतू जानवरों का सप्लाई करता था, लेकिन उसके नियोक्ताओं द्वारा ऐसा करने से रोक दिया गया था। फिर उसने उसे झूठे मामले में फँसाने की धमकी दी।”
पुलिस अधिकारी ने दावे के साथ बताया कि वायरल वीडियो में सहानुभूति का केंद्र बनने वाली अपना नाम बदल-बदल कर रहती आई है। उसका नाम साक्षी शर्मा नहीं बल्कि समरीन बानो है। वह मूल रूप से मेरठ की रहने वाली है। उसके खिलाफ नोएडा और दादरी सहित कई पुलिस स्टेशनों में मामले दर्ज हैं।
महिला का वीडियो वायरल होने के बाद, पीपुल फॉर एनिमल्स ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि महिला वास्तव में एक बहरूपिया है, जो विकलांग कुत्तों को शरण देने के नाम पर लोगों को ठगने की कोशिश कर रही है। पीपुल फॉर एनिमल्स ने ट्विटर पर भी बताया कि महिला धोखेबाज है। उसने पहले भी आवारा कुत्तों के नाम पर चंदा इकट्ठा किया है।
पीएफए ने यह भी बताया कि महिला आवारा कुत्तों को सड़क से उठाती है, उनके साथ तस्वीरें क्लिक करती है और लोगों से दान के लिए अपील करती है। संगठन ने यह भी कहा कि उक्त महिला ने गोवा, पंजाब, दिल्ली, हैदराबाद और नोएडा में लोगों से बड़ी रकम वसूल चुकी है। इसके साथ ही संगठन ने यह भी दावा किया कि महिला फर्जी हिंदू नाम के साथ धोखाधड़ी कर रही है।
पुलिस अधिकारी का दावा है कि वायरल वीडियो वाली साक्षी शर्मा (समरीन बानो) से मोहल्ले वाले परेशान हैं। पुलिस को लोगों ने बताया है कि वह कुत्तों को मारती है। कुत्ते खुले में घूमते हैं तो लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पुलिस ने बताया कि मकान मालिक नीतीश कुमार त्रिपाठी ने समरीन के खिलाफ एरोड्रम थाना में 30 हजार रुपया किराया न देने की शिकायत की थी। जानकारी के मुताबिक मकान का किराया न देने की वजह से समरीन के खिलाफ कई पुलिस स्टेशनों में केस दर्ज है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि साक्षी उर्फ समरीन ने सोशल मीडिया पर अलग-अलग नाम से अकाउंट बनाए हैं जिनकी पड़ताल की जा रही है।