नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस के कुल केस मंगलवार को 66,85,083 तक पहुंच गए. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इनमें से 9,19,023 एक्टिव (सक्रिय) केस हैं. इसी के साथ यह कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले धीरे-धीरे नीचे आने लगे हैं. 16 सितंबर को भारत में एक्टिव कोरोना वायरस केस 10 लाख पार कर गए थे और लगभग एक हफ्ते तक ऊपर ही बने रहे. 21 सितंबर को ये आंकड़ा दस लाख से नीचे आया और तब से यह ऐसे ही नीचे जा रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत लगातार कोरोना वायरस के एक्टिव केसों की संख्या को लगभग 2 हफ्ते से 10 लाख से नीचे रखे हुए हैं. इसी के साथ-साथ कोरोना से रिकवर हुए मरीज़ों की संख्या में भी भारी इजाफा हुआ है, अब तक कुल 55.86 लाख लोग कोरोना वायरस से ठीक हो चुके हैं, जिससे रिकवरी रेट 84 प्रतिशत तक पहुंच गया है.
रिकवरी हर दिन आने वाले नए केसों की तुलना में कहीं ज्यादा
एक्टिव केसों के साथ-साथ भारत में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या में भी भरी गिरावट देखने को मिली है. जहां सितंबर के अंत तक हर दिन करीब 1100 कोरोना मरीजों की मौत रिपोर्ट हो रही थीं, वहीं अब हर दिन 1000 के आस-पास मौतें दर्ज हो रही हैं. इससे साफ हो जाता है कि भारत में एक्टिव केसों में गिरावट रिकवरी अच्छी होने की वजह से ही बढ़ी है. और वो भी तब जब भारत हर दिन लगभग 10 लाख लोगों को टेस्ट कर रहा है. लेकिन भारत ही केवल ऐसा देश नहीं है जहां पर कोरोना वायरस के एक्टिव मामले घटे हों. उन देशों में जहां कोरोना के सक्रिय केसों की संख्या 50,000 से ज़्यादा है, उनमें ब्राज़ील, बांग्लादेश और पेरू ऐसे देश हैं जहां कोरोना वायरस के एक्टिव केस धीरे-धीरे नीचे आ रहे हैं. पेरू में 93,000 के करीब एक्टिव कोरोना केस हैं. वहीं बांग्लादेश में यह आंकड़ा 82,000 के आस-पास हैं. सोमवार को ब्राज़ील में 5 लाख एक्टिव केस थे.
यूरोप में फिर बढ़ा कोरोना का संक्रमण
सख्त नियम, लॉकडाउन और बड़ी संख्या में हुई टेस्टिंग की बदौलत ही यूरोप के कई देश कोरोना से जल्दी निजात पा गए थे. लेकिन अनलॉक हुआ तो लोगों की आवाजाही बढ़ी और यूरोप के कई देशों में कोरोना केस भी फिर बढ़ने लगे. फ्रांस और स्पेन की हालत सबसे ज़्यादा चिंताजनक है, क्योंकि इन देशों में कोरोना वायरस की पहली लहर की तुलना में, अब केस और भी ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
जब फ्रांस में पहली लहर आई थी तब वहां एक्टिव केस 97,000 तक ही पहुंचे थे, फिर थोड़ी गिरावट हुई. लेकिन जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी का डेटा दर्शाता है कि अभी फ्रांस में लगभग 5.3 लाख एक्टिव केस हैं, जो पहली लहर की तुलना में 5-6 गुना ज़्यादा हैं. वैसे ही स्पेन में भी अब कोरोना वायरस के केस बढ़ रहे हैं, सोमवार तक स्पेन में लगभग 6 लाख से भी ज़्यादा एक्टिव केस दर्ज किये गए थे. स्पेन और फ़्रांस भारत की आबादी का 10 प्रतिशत भी नहीं बैठते, लेकिन इसके बावजूद दोनों देशों के कोरोना वायरस एक्टिव केस (दोनों को जोड़कर) भारत से ज़्यादा हैं.
इटली में भी इस समय कोरोना वायरस के एक्टिव केस 60,000 से ऊपर हैं और संख्या ऊपर ही जा रही है. इन सब देशों के अलावा कई ऐसे देश हैं जहां कोरोना वायरस के केस बढ़ते जा रहे हैं. यूरोप में हॉलैंड, रूस, स्वीडन तो एशिया में इजराइल, इराक और ईरान में एक्टिव केस बढ़ते चले जा रहे हैं. यहां तक कि अमेरिका में भी जहां के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोरोना से संक्रमित हुए, कोरोना केसों में वृद्धि हो रही है.
सावधानी हटी दुर्घटना घटी
जहां एक तरफ भारत में हर दिन नए केस घट रहे हैं, वहीं स्पेन और फ़्रांस जैसे सशक्त देशों में कई शहरों में आंशिक लॉकडाउन भी लग रहे हैं. ऐसे में यह जान लेना चाहिए कि यदि इन देशों में कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं, तो भारत में भी ऐसा हो सकता है, हल्की सी चूक बड़ी परेशानियों को जन्म दे सकती है. जहां भारत को पहली लहर को नीचे लाने में ही 6 महीने लग गए, एक्सपर्ट्स का मानना है कि हमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि आने वाला समय महत्त्वपूर्ण भी है और अनिश्चित भी अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी में एपिडेमियोलॉजी की प्रोफेसर भ्रमर मुख़र्जी का कहना है कि भारत को आने वाले दो सालों के लिए तैयारी कर लेनी चाहिए.
सिर्फ भारत ही नहीं अमेरिका, ब्रिटेन में भी केस बढ़ रहे हैं. अमेरिका तो तीसरी लहर का सामना कर रहा है. जहां 22 राज्यों में केस बढ़ते नज़र आ रहे हैं. मैं यह विश्वास के साथ नहीं कह सकती कि भारत में केवल एक ही पीक होगी. अब त्योहारों का सीजन सिर पर है तो ऐसे में लोगों के घुलने मिलने को लेकर मैं काफी चिंतित हूं क्योंकि वायरस ने अब भी पीछा नहीं छोड़ा है. प्रोफेसर मुख़र्जी के मुताबिक हमें अपनी क्षमताओं को और भी दुरुस्त करने की जरूरत है, साथ ही वायरस को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “हमें लगातार अपनी टेस्टिंग और स्वास्थ्य की सुविधाओं को मजबूत करना होगा, आने वाले दो साल के लिए या तब तक जब तक वायरस शांत नहीं हो जाता. हमारा स्वास्थ्य सिस्टम भी इंटरकनेक्टेड है. भारत में पहली पीक को पार करने के लिए, सभी राज्यों को केसों में घटौती देखनी पड़ी थी. मुझे इस बात की ख़ुशी है कि केसों की संख्या गिर रही हैं, लेकिन ऐसे में जब सिर्फ 10 प्रतिशत लोग ही कोविड प्रभावित हुए हों, हर्ड इम्युनिटी अब भी कोसों मील दूर है (सेरो सर्वे और एपिडेमियोलॉजी के मॉडल्स की मानें तो). त्यौहारों के सीज़न के साथ साथ उत्तरी भारत में प्रदूषण का प्रकोप भी बढ़ जाता है. खासकर कि राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में.