कराची। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक शिया हजारा समुदाय के 11 लोगों की हत्या के विरोध में कराची में शुक्रवार को बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ। इस दौरान हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने रास्ते जाम कर दिए। व्यापक पैमाने पर हुए प्रदर्शनों के चलते 17 स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद करनी पड़ीं और 25 फ्लाइट देर से रवाना हुईं। जो फ्लाइट रद की गई हैं उनमें नौ पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की हैं।
प्रदर्शनों से जनजीवन अस्त-व्यस्त
बीते रविवार को क्वेटा के नजदीक मच्छ कस्बे में कोयला खदान में काम कर रहे 11 शिया हजारा समुदाय के मजदूरों का अपहरण कर लिया गया था। बाद में गोलियों से छलनी उनकी लाशें बरामद हुई थीं। घटना की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आइएस ने ली थी। घटना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई और पाकिस्तान में भारी विरोध हुआ। यह विरोध अभी जारी है। ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से हो रहे हैं लेकिन इनसे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है।
ये विरोध प्रदर्शन तब हो रहे हैं जब संयुक्त विपक्ष एकजुट होकर इमरान सरकार से इस्तीफे की मांग कर रहा है। कराची में शुक्रवार को शहर के मध्य नुमाइश चौरंगी पर बड़ा धरना हुआ। इसमें राजनीतिक दलों के नेताओं और सामाजिक संगठनों के प्रमुख लोगों ने हिस्सा लिया। गवर्नर हाउस पर मजलिस-ए-मुस्लेमीन का धरना लगातार तीसरे दिन जारी रहा। इसमें पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के कार्यकर्ता भी शामिल हो रहे हैं।
पश्तूनों के दमन के खिलाफ आवाज
घटना के विरोध में सिंध बार काउंसिल ने शुक्रवार को अदालतों का बहिष्कार किया। शिया हजारा समुदाय के लोगों की सामूहिक हत्या के बाद पाकिस्तान में पश्तून समुदाय के साथ हो रहे अन्याय की आवाज भी तेज हो गई है। समुदाय के सैकड़ों लोग सरकारी एजेंसियों खासतौर से खुफिया संगठन आइएसआइ की गैरकानूनी हिरासत में हैं। हिरासत में वे लोग हैं जिन्होंने समुदाय के अधिकारों की आवाज उठाई थी।
आवाज उठाने वालों को जेल में डाल रही सरकार
पश्तून तहाफ्फुज मूवमेंट के नेता और संसद सदस्य अली वजीर पर घृणास्पद भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया है। एक अन्य पश्तून नेता आलम मेहसूद को उनके घर में ही नजरबंद कर दिया गया है। इसी प्रकार से सना एजाज नाम की मानवाधिकार कार्यकर्ता को उनके 45 सहयोगियों के साथ गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया है। माना जा रहा है कि चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर की परियोजनाओं के विरोध के चलते पश्तूनों का चीन के इशारे पर दमन किया जा रहा है।