शनिवार (जनवरी 30, 2021) रात सिंघू बॉर्डर पर स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) के साथ दुर्व्यवहार करने के बाद हिरासत में लिए गए मनदीप पुनिया की रिहाई की माँग को लेकर ‘पत्रकारों’ ने रविवार (जनवरी 31, 2021) को दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। वह कथित तौर पर बैरिकेड हटाने की कोशिश कर रहा था और उसने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया, जिसके कारण उसे हिरासत में लिया गया था।
गिरफ्तारी के बारे में बताते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुनिया प्रदर्शनकारियों के साथ खड़ा था और उसके पास प्रेस आईडी कार्ड नहीं था। वह उन बैरिकेड के माध्यम से जाने की कोशिश कर रहा था जो सुरक्षा के लिहाज से लगाए गए थे। इस दौरान पुलिसकर्मियों और उनके बीच विवाद शुरू हो गया।
पुलिस ने कहा कि कारवाँ के पत्रकार ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया, जिसके बाद उसे हिरासत में लिया गया। बावजूद उसके समर्थन में ‘पत्रकारों’ को रविवार को दिल्ली पुलिस मुख्यालय में नारेबाजी करते हुए देखा जा सकता है। वो लोग ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगा रहे थे।
Journalists protesting against the arrest of Mandeep Punia next to the new Delhi police headquarters pic.twitter.com/3yxkRvWQeX
— Vijayta Lalwani (@VijaytaL) January 31, 2021
स्क्रॉल के विजयता लालवानी द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में, प्रदर्शनकारियों में से एक को ‘बीजेपी के गुंडों’ के बारे में बात करते हुए देखा जा सकता है। वह बताता है कि पिछले दो महीनों से मनदीप प्रदर्शनकारी किसानों के साथ रहता था, उसके साथ खाता-पीता था।
The protest continues… pic.twitter.com/g5Dglxa6fT
— Vijayta Lalwani (@VijaytaL) January 31, 2021
पत्रकार जिस तरह से नारे लगा रहे थे, उसे देख कर जेएनयू में वामपंथी द्वारा लगाए जाने वाले नारों का दृश्य याद आता है।
Journalists protesting against Delhi police and demanding that Mandeep Punia should be released. pic.twitter.com/j313mHSPPT
— Sandeep Singh (@PunYaab) January 31, 2021
गणतंत्र दिवस के दौरान दिल्ली की हिंसा के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत के मामले में गलत सूचना साझा करके हिंसा भड़काने की कोशिश के लिए कारवाँ के पत्रकारों पर भी देशद्रोह के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। मनदीप पुनिया भी कथित तौर पर इस वामपंथी मीडिया पोर्टल से जुड़ा हुआ है।
जेल की दीवारें आज़ाद आवाज़ों से ऊँची नहीं हो सकती हैं। जो अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पहरा लगाना चाहते है वो देश को जेल में बदलना चाहते हैं। pic.twitter.com/n5AzWoUEa2
— ravish kumar (@ravishndtv) January 31, 2021
रवीश कुमार ने भी इस पर अपनी व्यथा प्रकट करते हुए टिप्पणी की। रवीश कुमार ने अपनी टिप्पणी पत्रनुमा लिखी है जिसे जेलर साहब को संबोधित किया है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है, “जेल की दीवारें आज़ाद आवाज़ों से ऊँची नहीं हो सकती हैं। जो अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पहरा लगाना चाहते है वो देश को जेल में बदलना चाहते हैं।”