नई दिल्ली। सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्माऔर स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थानाके बीच एक साल तक चले विवाद के बाद दोनों को छुट्टी पर भेज दिया गया है। खास बात यह है कि विवाद के केंद्र में एक बार फिर मोइन कुरैशी का नाम सामने आया है, जो दो अन्य सीबीआई चीफ्स एपी सिंह और रंजीत सिन्हा के डाउनफॉल के लिए भी जिम्मेदार है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि तीन सीबीआई चीफ्स की छवि धूमिल करने के पीछे यह शख्स आखिर कौन है और कैसे एक केस ने सीबीआई के भीतर तूफान ला दिया।
पूरा नाम- मोइन अख्तर कुरैशी
मोइन अख्तर कुरैशी उत्तर प्रदेश के कानपुर से ताल्लुक रखता है। उसने 1993 में रामपुर में एक छोटा सा बूचड़खाना खोला था और जल्द ही वह देश का सबसे बड़ा मांस कारोबारी बन बैठा। पिछले 25 वर्षों में उसने निर्माण और फैशन समेत कई सेक्टरों में 25 से ज्यादा कंपनियां खड़ी कर लीं। उसने अपनी पढ़ाई दून स्कूल और सेंट स्टीफेंस से की थी। उसके खिलाफ कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार में शामिल होने के कई आरोप लगे और जांच हुई। इसके साथ-साथ उसने हवाला के जरिए बड़ा लेनदेन किया। उस पर सीबीआई अफसरों, राजनेताओं समेत कई अधिकारियों को रिश्वत देने के भी आरोप लगे।
2014 में सुर्खियों में आया नाम
कुरैशी का नाम सबसे पहले 2014 में सामने आया, जब यह पता चला कि 15 महीने में कुरैशी कम से कम 70 बार तत्कालीन सीबीआई चीफ रंजीत सिन्हा के घर पर गया था। आलोक वर्मा और अस्थाना के बीच मौजूदा विवाद में हैदराबाद के बिजनसमैन सतीश बाबू सना का नाम भी सामने आया है। सना ने पिछले साल ED को कथित तौर पर बताया था कि उसने सिन्हा के जरिए एक सीबीआई केस में फंसे अपने दोस्त को जमानत दिलाने के लिए 1 करोड़ रुपये कुरैशी को दिए थे।
आरोपी या संदिग्ध के साथ मीटिंग करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सिन्हा को कड़ी फटकार लगाई थी। इसके बाद वह सीबीआई के रेडार पर आ गए। सिन्हा पर आरोप लगे तो सीबीआई में सुधार और उसके कामकाज में ज्यादा सावधानी की बात होने लगी। सिन्हा 2012 से 2014 तक एजेंसी के चीफ रहे और वह लगातार सभी आरोपों से इनकार करते रहे।
एपी सिंह भी विवादों में घिरे
बाद में 2014 में पता चला कि कुरैशी और एक अन्य सीबीआई डायरेक्टर एपी सिंह के बीच मेसेज का आदान-प्रदान हुआ था। सिंह 2010 से 2012 तक एजेंसी के हेड रहे। आयकर विभाग और ED ने मामले की जांच की और पिछले साल फरवरी में CBI ने भी सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया, जिससे कुरैशी के साथ उनके संबंधों की जांच हो सके। आरोपों के चलते सिंह को संघ लोक सेवा आयोग में सदस्य की अपनी पोस्ट छोड़नी पड़ी। एपी सिंह भी लगातार आरोपों से इनकार करते रहे। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई ने अब तक उनसे संपर्क नहीं किया है।
अब वर्मा बनाम अस्थाना में भी नाम
कुरैशी की जांच के सिलसिले में अब आलोक वर्मा पर सवाल खड़े किए गए। बुधवार को सरकार ने उनसे सभी अधिकार वापस ले लिए। दरअसल, अस्थाना ने आरोप लगाया है कि कुरैशी केस में राहत पहुंचाने के लिए वर्मा ने सना से 2 करोड़ रुपये की रिश्वत ली है। उधर, वर्मा ने अस्थाना के खिलाफ पिछले हफ्ते FIR दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि अस्थाना ने सना से 3 करोड़ रुपये की रिश्वत ली।