चीन पर दुनिया को Covid-19 महामारी देने, मानवाधिकारों का उल्लंघन करने और भारत समेत अन्य देशों के खिलाफ विस्तारवादी नीति अपनाने का आरोप लगाया जा रहा है और सीमा पर आक्रामकता के चलते लगातार उसकी आलोचना हो रही है। वहीं, सीपीआईएम के सीताराम येचुरी और सीपीआई के डी. राजा समेत कई अन्य वामपंथी नेता चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित होने वाले वर्षगाँठ कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं।
CPIM’s Sitaram Yechury, CPl’s D Raja, Lok Sabha MP S.Senthilkumar, G. Devarajan, Secy, Central Committee of All India Forward Bloc & Du Xiaolin, Counselor, International Dept, CPC, participated in a Chinese Embassy event y’day to mark the centenary of Chinese Communist Party(CPC) pic.twitter.com/oAJReO1SCN
— ANI (@ANI) July 29, 2021
ज्ञात हो कि बुधवार (28 जुलाई 2021) को चीनी दूतावास के द्वारा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी CPC की स्थापना का शताब्दी समारोह आयोजित किया गया। इस आयोजन में सीपीआईएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी. राजा, तमिलनाडु की सत्ताधारी डीएमके सांसद एस. सेंथिलकुमार और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक की केन्द्रीय समिति के सचिव जी. देवराजन शामिल हुए। इस आयोजन में चीन का नेतृत्व CPC के इंटरनेशनल डिपार्टमेंट के काउन्सलर डू शियाओलिन (Du Xiaolin) ने किया। हालाँकि, यह प्रश्न उठाया जा सकता है कि जब पूरे देश में नागरिकों के मन में चीन के प्रति क्रोध है ऐसे में कुछ चंद नेता चीन की उस CPC के स्थापना समारोह में खुशी-खुशी शामिल हो रहे हैं, जिसका भारत विरोध जग-जाहिर है।
हालाँकि, इसके उलट भारतीय वामपंथियों का इतिहास हमेशा से चीन के प्रति नरमी दिखाने का रहा है। हाल ही में वामपंथी प्रकाशन समूह ‘द हिन्दू’ ने 01 जुलाई 2021 को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की शताब्दी समारोह पर चीन द्वारा भुगतान किए गए पूरे पृष्ठ का विज्ञापन प्रकाशित किया था। यह पेड कंटेंट समाचार पत्र के तीसरे पेज पर था। दिलचस्प बात यह थी कि चीन द्वारा जो पेड कंटेंट प्रकाशित किया गया था, वह नियमित रिपोर्ट की तरह ही था, लेकिन सिर्फ बारीकी से देखने पर यह पता लगाया जा सकता था कि यह चीन द्वारा पेड कंटेंट है।
पिछले कुछ समय से भारत के साथ चीन के संबंध लगातार तल्ख बने हुए हैं। पिछले साल गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प में हमारे 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे। हालाँकि, इस झड़प में चीन को भी अच्छा-खासा नुकसान झेलना पड़ा था। इस झड़प की शुरुआत चीन ने ही की थी और उसके बाद हमारे वीर जवानों ने चीन को मुँहतोड़ जवाब दिया। दुःख की बात यह है कि भारत में रहकर और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के बलबूते अपनी जमीन तैयार करने वाले वामपंथी नेताओं ने भारतीय सैनिकों की वीरगति पर चीन के विरोध में एक शब्द भी नहीं कहा था।
इसके उलट सीपीआईएम के बांग्ला मुखपत्र ‘गणशक्ति’ ने अपने पहले पन्ने पर भारतीय सेना के बलिदान का मखौल उड़ाते हुए उन्हें ही दोषी ठहराया था। इसके लिए किसी भारतीय नहीं बल्कि चीनी प्रवक्ता का बयान छापा गया था। चीनी प्रवक्ता के हवाले से दावा किया गया था कि भारतीय सेना ने न सिर्फ़ सीमा सम्बन्धी नियमों का उल्लंघन किया बल्कि गलवान घाटी में भी स्थिति से छेड़छाड़ की। यानी वामपंथियों द्वारा देश की सीमा पर हमारे लिए सुरक्षा करते हुए चीनी सैनिकों की धोखेबाजी भरे हमले में जान गँवाने वाले हमारे ही सैनिकों पर सवाल उठाया जा रहा था और वो भी उनके बयान को आधार बना कर, जिनकी सेना ने ये घिनौना कृत्य किया।
हालाँकि, CPC की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में सीपीआईएम के सीताराम येचुरी की उपस्थिति कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि चीन के प्रति सहानुभूति का प्रदर्शन वह पहले भी कर चुके हैं। पिछले साल ही गलवान में हुए संघर्ष के बाद कॉन्ग्रेस और चीन के सत्ताधारी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच एक खुफिया समझौते की बात सामने आई थी। उसी समय सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें येचुरी चीन का समर्थन करते नजर आए थे। साथ ही वो इस बात पर जोर भी दे रहे थे कि एक देश के वामपंथियों को दूसरे देशों के वामपंथी विचारधारा के लोगों से संपर्क बनाए रखना चाहिए, खासकर चीन और रूस से।
चीन के प्रति झुकाव की बात कबूल करते हुए उन्होंने कहा था कि वामपंथी देश होने के बावजूद चीन ने वैश्विक परिदृश्य के लिहाज़ से खुद को बहुत बदला है। हालाँकि, उइगर मुस्लिमों के अधिकारों के उल्लंघन और हॉन्गकॉन्ग में चीन द्वारा किए जा रहे दमन पर उन्होंने अपना रूख स्पष्ट करने की बजाय यही कहा था कि ‘क्या भारत में भी बोलने की पूरी आज़ादी है?’ भारत और चीन के विवाद में वामपंथियों की भूमिका हमेशा से ही संदिग्ध रही थी। 1962 के युद्ध में तो सीपीआई ने देशद्रोह का खुलेआम प्रदर्शन करते हुए यहाँ तक कह दिया था कि घायल जवानों को रक्तदान करना पार्टी विरोधी गतिविधियों में गिना जाएगा।