अहमदाबाद। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के करीबी माने जाने वाले विजय रुपाणी (Vijay Rupani) ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा (Vijay Rupani resign) देकर सभी को चौंका दिया. शनिवार दोपहर को जब विजय रुपाणी राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मिलने पहुंचे, तब तक किसी को भी अंदेशा नहीं था कि वह इस्तीफा देने जा रहे हैं. कोई मंत्रिमंडल विस्तार के कयास लगा रहा था तो कोई इसे महज एक बैठक मान रहा था, लेकिन कुछ ही मिनटों बाद स्पष्ट हो गया कि विजय रुपाणी अब गुजरात के मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे.
देर रात गुजरात पहुंचे शाह और सुबह ही हो गई वापसी
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसी सिलसिले में गुजरात का दौरा किया था. वह अचानक से देर रात दिल्ली से अपने गृह राज्य गए थे और वहां पर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की थी. कुछ घंटों तक चली इस बैठक में ही उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे विजय रुपाणी पर फैसला हो गया था. अनुमान लगाया जा रहा है कि इसी बैठक में यह तय कर लिया गया था कि विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा. हालांकि, इस फैसले को पूरी तरह से गुप्त रखा गया और किसी को भी कोई खबर नहीं लगी. गुजरात बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करने के बाद अमित शाह अगले दिन सुबह वापस दिल्ली लौट आए थे.
विजय रुपाणी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा क्यों देना पड़ा, इसके पीछे कोई एक वजह नहीं बताई जा रही है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर, विपक्षी पार्टियों के गुजरात में बढ़ते जनाधार आदि की वजह से रुपाणी को अपनी कुर्सीं गंवानी पड़ी.
अप्रैल-मई महीने में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गुजरात हाई कोर्ट ने कोरोना प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार पर कड़ी टिप्पणी की थी, जिसके बाद उस समय रुपाणी सरकार की आलोचना हुई. वहीं, लोकल बॉडी के चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी जिस तरह से कोरोना से जांच गंवाने वाले लोगों के नाम पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम कर रही है और बीजेपी सरकार को कोरोना प्रबंधन के लिए पूरी तरह से फेल बता रही है, उससे भी विजय रुपाणी के चेहरे के आधार पर बीजेपी को नुकसान पहुंचता दिख रहा था. सूत्रों के अनुसार, रुपाणी के चेहरे पर बीजेपी को जनसमर्थन मिलता नहीं दिखाई दे रहा था.
तो क्या आरएसएस के सर्वे के चलते हुई रुपाणी की छुट्टी?
सूत्रों की मानें तो हाल ही में आरएसएस ने एक सर्वे करवाया था, जोकि गुजरात की विजय रुपाणी सरकार को लेकर था. इस सर्वे में विजय रुपाणी के चेहरे पर बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना मुश्किल लग रहा था.
गुजरात कांग्रेस के नेता हार्दिक पटेल ने भी ट्वीट करते हुए इसी तरह का दावा किया है. पटेल ने कहा, ”मुख्यमंत्री रुपाणी को बदलने का प्रमुख कारण. अगस्त में आरएसएस और बीजेपी का गुप्त सर्वे चौंकाने वाला था. कांग्रेस को 43% वोट और 96-100 सीट, बीजेपी को 38% वोट और 80-84 सीट, आप को 3% वोट और 0 सीट, मीम को 1% वोट और 0 सीट और सभी निर्दलीय को 15% वोट और 4 सीट मिल रही थी.”
बीजेपी के हाल-फिलहाल के इतिहास को देखें तो यह समझ आएगा कि जिस भी चेहरे के बारे में सुर्खियां बन रही होती हैं, पार्टी उसे मुख्यमंत्री नहीं बनाती है. फिर चाहे साल 2017 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की बात हो, जहां पर मनोज सिन्हा के नाम को लेकर जोर-शोर से चर्चा चल रही थी, लेकिन आखिरी समय में बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को सीएम घोषित करके सभी को चौंका दिया.
इसी तरह से हाल ही में उत्तराखंड और कर्नाटक में भी बीजेपी ने सभी को सरप्राइज कर दिया. गुजरात में भी वर्तमान डिप्टी सीएम नितिन पटेल को सीएम बनाए जाने की बात चल रही थी. यहां तक कि पटेल ने सबको खुद के मुख्यमंत्री बनने की खुशी में मिठाई तक खिला दी थी, लेकिन ऐन वक्त पर विजय रुपाणी के नाम की घोषणा कर दी गई. इस बार भी सीएम पद की रेस में नितिन पटेल, मनसुख मंडाविया, पुरुषोत्तम रुपाला, गोरधन झड़फिया आदि के नामों की चर्चा चल रही है, लेकिन इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि बीजेपी इन नामों के अलावा किसी और के नाम का ऐलान करके कोई सरप्राइज दे सकती है.