एआईएसएससी प्रमुख सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा, ‘हम यह संदेश देना चाहते हैं कि सभी धार्मिक नेताओं की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने-अपने समुदाय और विशेष तौर पर युवाओं का, भारत के जिम्मेदार नागरिक बनने में मार्गदर्शन करें.’
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा देखा गया है कि सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल धर्मों और उनके अनुयायियों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है. हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस पर गंभीरता से ध्यान दे और इस खतरे को रोकने के लिए उचित कदम उठाए.’
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल भी सम्मेलन में मौजूद थे, उन्होंने विभिन्न धर्मों के नेताओं से धर्म और विचारधारा के नाम पर वैमनस्यता पैदा करने की कोशिश कर रहीं कट्टरपंथी ताकतों का मुकाबला करने का आग्रह किया, जो देश पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं और जिनका अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भी है.
उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग धर्म के नाम पर वैमनस्यता पैदा करते हैं, जो पूरे देश पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और इसके अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भी हैं. हम इसके मूकदर्शक नहीं हो सकते. धार्मिक रंजिश का मुकाबला करने के लिए हमें एक साथ काम करना होगा और हर धार्मिक संस्था को भारत का हिस्सा बनाना होगा. इसमें या तो हम तैरेंगे या डूब जाएंगे.’
आयोजकों ने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य ‘बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता’ पर हिंदू, इस्लाम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन सहित विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों के बीच गहन चर्चा करना था.
अंतर धार्मिक सम्मेलन द्वारा पारित प्रस्ताव में शांति और सद्भाव का संदेश फैलाने और कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ लड़ाई के लिए सभी धर्मों को शामिल करते हुए एक नया संगठन बनाने का प्रस्ताव रखा गया है.
नई दिल्ली। ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल (एआईएसएससी) समेत कई धार्मिक नेताओं ने बीते दिनों एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें ‘विभाजनकारी एजेंडा’ आगे बढ़ाने और ‘राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों’ में लिप्त होने के चलते पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की वकालत की गई.
एआईएसएससी ने कहा, ‘पीएफआई जैसे संगठनों और ऐसा कोई भी मोर्चा जो देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं, विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं और हमारे नागरिकों के बीच कलह पैदा कर रहे हैं, उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और देश के कानून के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए.’
सूफी निकाय ने नई दिल्ली में शनिवार (30 जुलाई) को आयोजित एक अंतरधार्मिक सम्मेलन में यह टिप्पणी की.
इसने लोगों से यह भी आग्रह किया कि यदि किसी चर्चा या बहस में किसी के द्वारा किसी भी देवी-देवता या पैगंबर को निशाना बनाया जाता है तो उसकी निंदा की जाए.