गुलाम नबी आजाद और राहुल गांधी के बीच मनमुटाव नया नहीं, पीएम मोदी भी हैं एक फैक्टर

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है, उन्होने शुक्रवार को 5 पेजों का त्याग पत्र भेज दिया है, जिसमें राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है, आपको बता दें कि गुलाम नबी आजाद और राहुल गांधी पहले भी आमने-सामने आ चुके हैं, आजाद पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के करीबी थे, लेकिन जब राहुल ने कमान संभाली, तो आजाद को किनारे लगा दिया, उनकी हालिया शिकायत ये थी कि आजाद से अगले कांग्रेस अध्यक्ष को चुनने को लेकर सलाह नहीं ली गई थी।

राहुल के साथ नहीं थे अच्छे संबंध

जून में सोनिया गांधी ने पार्टी में नंबर 2 की पेशकश की थी, लेकिन गुलाम नबी ने मना कर दिया था, सूत्रों ने कहा कि आजाद ने सोचा था कि वो पार्टी में नंबर दो बन सकते हैं, लेकिन ये नहीं हो सका, जिसके पीछे राहुल गांधी को माना गया, आजाद 2014 से 2021 तक विपक्ष के नेता रहे, इस दौरान राहुल गांधी के साथ आजाद के संबंध अच्छे नहीं रहे।

पीएम मोदी ने की थी तारीफ

बाद में पीएम मोदी ने आजाद की विदाई में अपने भाषण के दौरान उनकी प्रशंसा की, जबकि आजाद के लिये पद्म पुरस्कार ने स्थिति को और खराब कर दिया, आजाद के पार्टी से इस्तीफे के बाद कांग्रेस के वरुष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, एक व्यक्ति जिसे कांग्रेस नेतृत्व द्वारा सबसे बड़े सम्मान के साथ व्यवहार किया गया है, उसने अपने शातिर व्यक्तिगत हमलों से इसे धोखा दिया है, जो उसके असली चरित्र को प्रकट करता है, जीएनए का डीएनए मोदी-फाईड।

अपमानित करने का आरोप

राहुल गांधी के साथ अपनी आखिरी मुलाकात के दौरान आजाद के करीबी सूत्रों ने दावा किया कि उन्हें वो सम्मान नहीं दिया गया, जो सोनिया गांधी दिया करती थी, जबकि राहुल ने कथित तौर पर उन्हें और उनके पहले नाम से बुलाया था, हालांकि आजाद को आश्वासन के बाद कथित तौर पर राज्यसभा सीट से वंचित करने के बाद उनके रिश्ते खराब हो गये, क्योंकि राहुल गांधी ने वीटो कर दिया था, आजाद ने अपने इस्तीफे में सीडब्लयूसी सदस्यों पर जी-23 नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लेटर लिखे जाने के बाद उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया।

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