पश्चिम बंगाल से सटी सीमा के जरिए बांग्लादेश में गायों की तस्करी के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। तस्करी के लिए सबसे आसान और अमानवीय तरीका है गायों के पैरों को बाँधने के बाद उसके सिर को केले के तने से बाँधकर नदी में छोड़ देना। बंगाल के तस्कर गायों को बांग्लादेश भेजने के लिए यही तरीका अपनाते हैं।
तस्कर आमतौर पर गायों की तस्करी के लिए कोडवर्ड का प्रयोग करते हैं। भारत में जो गाय 30 हजार में खरीदी गई, उसे बांग्लादेश में डेढ़ लाख रुपए तक में बेच दिया जाता है। ईद जैसे मौकों पर इनकी कीमतों में और भी वृद्धि हो जाती है।
इतना ही तस्करी के इस खेल में आम अपराधी से लेकर बड़े तस्कर तक शामिल होते हैं। वहीं, राज्य के राजनीतिक दलों का इन्हें भरपूर संरक्षण मिला होता है। इस कारण पुलिस ने इनके खिलाफ कुछ नहीं कर पाती है और वह भी इनका हिस्सा बनकर कमाई पर ध्यान देती है। मवेशियों से लदे वाहनों से रिश्वत लेकर पुलिस उन्हें सुरक्षित आगे जाने देती है।
पश्चिम बंगाल में गायों की तस्करी का सबसे बड़ा सरगना मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के अनुब्रत मंडल को माना जाता है। बाहुबली अनुब्रत बीरभूम जिले के TMC के नेता और ममता बनर्जी के बेहद करीबी हैं। तस्करी के आरोपों में सीबीआई ने उन्हें पिछले महीने गिरफ्तार किया है।
यहाँ पर तस्कर किसानों से गायों को खरीद कर लाते हैं और सैकड़ों-हजारों के समूह में उन्हें नदी में धकेल देते हैं। इस दौरान बॉर्डर पर तैनात जवान भी चाहकर कुछ नहीं कर पाता, क्योंकि वे गिनती में एक-दो होते हैं और हथियारों से लैस तस्कर सैकड़ों की तदाद में होते हैं।
जब मवेशियों को नदी में छोड़ दिया जाता है तो बांग्लादेश में नदी किनारे खड़े तस्कर उसे निकाल लेते हैं। गायों पर बनाए गए विभिन्न निशानों के आधार पर वे अपने साथ ले जाते हैं। इस काम में कस्टम के अधिकारी भी मिले होते हैं।
हालाँकि, साल 2018 के बाद और अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी के बाद तस्करी में काफी गिरावट आई है। लेकिन तस्कर अब गायों के बजाय बछड़ों पर नजर गड़ाए हैं। वहीं, स्थानीय एजेंसियों का भी मानना है कि मवेशियों की तस्करी में गिरावट आई, लेकिन ड्रग्स की तस्करी में बढ़ोत्तरी हुई है।