पीएफआई मामले की जांच कर रही उत्तर प्रदेश पुलिस को पूछताछ और जांच के दौरान कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं, जो साबित करतीं है कि पीएफआई कितने खतरनाक मंसूबों के साथ आगे बढ़ रहा था. यूपी पुलिस के टॉप सोर्स के मुताबिक, पीएफआई ने मुसलमानों को भी कई कैटेगरी में बांट रखा था. मसलन कुछ मुस्लिमों को वो सिर्फ और सिर्फ चंदा लेने के लिए टारगेट करते थे, जिससे अपने संगठन को फाइनेंसियली मजबूत किया जा सके.
इसके बाद वह सबसे ज्यादा स्टूडेंट ग्रुप्स पर ध्यान देता था, जो मुस्लिम यूथ को आईएस आर्गेनाइजेशन के साथ जोड़ सके. मुस्लिम युवक मदरसों में जाकर दिनी तालीम लें यह पीएफआई के एजेंडे में सबसे ऊपर होता था. इस जांच में सबसे खतरनाक तथ्य जांच में यह सामने आया है कि पीएफआई के लोग शरीयत की बातों को मुस्लिम युवाओं को जोड़ तोड़कर अपने एजेंडे के हिसाब से सबको बताते थे, ताकी अपने एजेंडे को चलाने में मदद मिल सके. उदाहरण के तौर पर लखनऊ से गिरफ्तार अहमद बेग जाकिर अपने नाम से खुद का यूट्यूब चैनल चलाता था और इसमें वो काफी तकरीरे भी करता था. खुद को मोटिवेशनल स्पीकर बताने वाला बेग अपने जिहादी भाषणों से मुस्लिम युवाओं को भड़काने का काम भी करता था, ताकी टारगेट को आसानी से कट्टर बना सके.
वकीलों की भारी भरकम फौज
सूत्रों से यह भी पता चला है कि करोड़ों की फंडिंग कैश में लेने वाला पीएफआई अपने पास वकीलों की भारी भरकम फौज भी रखता था. पिछले एक साल में देखा जाए तो अलग-अलग माध्यम से पीएफआई ने यूपी पुलिस के खिलाफ करीब 20 रिट भी दायर की, जिनमें 16 रिट तो यूपी एसटीएफ के ही खिलाफ थी. ऐसे मे जांच एजेंसी को भी पीएफआई अपने आईएस नेटवर्क के जरिए भी व्यस्त रखती थी, ताकी वो अपने गलत कामों को बगैर डिस्टर्बन्स के करती रहे.
जेल से भी पीएफआई का एजेंडा चले
पीएफआई के पकड़े गए मेंबर्स ने पूछताछ मे बताया कि उन्होंने अपने लोगों को आईएस से बात के लिये भी ट्रेनेड किया करता था. अगर वो जेल भी चले जाएंगे तो वहां से भी पीएफआई का एजेंडा लगातार चलाते रहेंगे. जेल मे दूसरे कैदियों को पीएफआई के बारे मे बताकर पीएफआई से जोड़ने के लिये मोटिवेट करेंगे.
सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि पीएफआई में काम कर रहे सक्रिय सदस्य आतंकी संगठन आईएसआईएस से काफी ज्यादा प्रभावित थे. संगठन के लोगों का आईएसएस के रिक्रूटर्स के साथ भी सम्बन्ध होने की बात सामने आई है. इसी कड़ी में पीएफआई के जो सदस्य शामिल होते थे उनको पीई यानि फिजिकल एक्सपेंशन ग्रुप तक में शामिल किया जाता था. कराटे, ब्लैक बेल्ट जैसी प्रतियोगिता भी इनके समूहों के बीच कराई जाती थी, ताकि सभी के बीच बड़ी कम्पटीशन की भावना पैदा की जा सके. बॉम्ब और आईईडी बनाने के अलावा आईएसआईएस को देखते हुए पीएफआई के लोग चाकू से वार करने की भी खास ट्रेनिंग देते थे, ताकि मीडिया अटेंशन आए बगैर ही आतंकी वारदात भी हो जाए और वो ज्यादा मीडिया के सामने भी न आए. इनके कब्ज़े से एजेंसी ने आईएसआईएस से सम्बंधित बड़ा ज़खीरा भी बरामद किया है, जिसमें इराक और सीरिया मे हुई घटनाओं का काफी ज़िक्र मौजूद है, जो साबित करता है की पीएफआई और इससे जुड़े संगठन आईएसआईएस से किस तरह प्रभावित थे.
यूपी में करीब 243 सेंटर्स पीएफआई ने अपने या उससे जुड़े हुए संगठन के नाम से चला रहा था. लखनऊ, बराबंकी, बहराइच, आजमगढ़, गोण्डा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पड़ोसी मुल्क नेलाल में भी पीएफआई ने अपनी जड़ों को मजबूत करने के लिए अपना संगठन भी मजबूत कर लिया था. पीएफआई के गिरफ्तार संदिग्धों के पास से बम और आईईडी बनाने की तस्वीर और लिटरेचर होना. आतंकी संगठनों से संपर्क होना और विदेशो से प्रतिबंधित संगठनों से फंडिंग लेना वो तमाम सबूत है जो पीएफआई को बैन करवाने से लेकर आगे की कार्रवाई तक में जांच एजेंसी के बेहद काम आने वाली है.