रामचरितमानस विवाद पर क्यों स्वामी को ‘प्रसाद’ रहे अखिलेश, चाचा और मौर्य को एक ही पायदान पर ला खड़ा किया

लखनऊ। रामचरितमानस को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने विवादित टिप्पणी की थी। उसके बाद यह विवाद देखते ही देखते उत्तर प्रदेश तक आ पहुंचा। यही नहीं इस पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी टिप्पणी कर दी, जिस पर रार शुरू हो गई। पहले भी स्वामी प्रसाद मौर्य गौरी-गणेश जैसे हिंदू प्रतीकों पर टिप्पणी कर चुके हैं। हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से अखिलेश यादव ने पल्ला नहीं झाड़ा बल्कि इस मसले को आगे बढ़ाते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ से ही सवाल दाग दिए। उन्होंने कहा कि मैं सीएम योगी से ही कुछ चौपाइयों के बारे में पूछना चाहूंगा। उन्होंने कहा कि मैं उनसे जानना चाहता हूं कि आखिर शूद्र का अर्थ क्या है? मैं शूद्र में आता हूं या नहीं।

यादवों के बाद मौर्य बिरादरी की ओबीसी में बड़ी आबादी

कई जिलों में है स्वामी का असर, पूर्व से पश्चिम तक कनेक्शन

वह प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले हैं और रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा कुशीनगर की पडरौना सीट से भी वह विधायक रहे हैं। इतना ही नहीं उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से भाजपा की सांसद हैं। इस बार बेटी को शायद ही भाजपा का टिकट मिले, लेकिन सपा जरूर उन्हें मौका दे सकती हैं। इस तरह स्वामी प्रसाद मौर्य़ का तीन लोकसभा सीटों पर असर है- बदायूं, प्रतापगढ़ और कुशीनगर। स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा में प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। ऐसे में उन्हें विपक्ष की लड़ाई का भी अनुभव है। आने वाले दिनों में स्वामी को कुछ और जिम्मेदारी भी दे सकती है।

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