बाथरूम में फिसले वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक को बचाया नहीं जा सका

एक दुखद ख़बर आ रही है। वरिष्ठ पत्रकार डाक्टर वेदप्रताप वैदिक आज बाथरूम में नहाते वक्त फिसल गए जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन डाक्टर बचा नहीं सके। उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

वैदिक जी 78 साल के थे। बेहद ऊर्जावान। नियम के पक्के। प्रतिदिन अपना कॉलम लिखते थे। कल पंद्रह मार्च को उन्हें साहित्य के एक कार्यक्रम का उदघाटन करना था।

डाक्टर वैदिक अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ थे। वे हिंदी से बहुत प्यार करते थे और इसको बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई।

पत्रकारिता, राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष, विश्व यायावरी, प्रभावशाली वक्तृत्व, संगठन-कौशल आदि अनेक क्षेत्रों में एक साथ मूर्धन्यता प्रदर्शित करने वाले अद्वितीय व्यक्त्तिव के धनी. वेदप्रताप वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को पौष की पूर्णिमा पर इंदौर में हुआ। वे सदा प्रथम श्रेणी के छात्र रहे।

वे रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत के भी जानकार थे। उन्होंने अपनी पीएच.डी. के शोधकार्य के दौरान न्यूयार्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, मास्को के ‘इंस्तीतूते नरोदोव आजी’, लंदन के ‘स्कूल ऑफ ओरिंयटल एंड एफ्रीकन स्टडीज़’ और अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया।

वैदिकजी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा।

वे लगभग 10 वर्षों तक पीटीआई की हिंदी न्यूज़ एजेंसी ‘भाषा’ के संस्थापक-संपादक और उसके पहले नवभारत टाइम्स के संपादक (विचार) रहे। इस समय दिल्ली के राष्ट्रीय समाचार पत्रों तथा प्रदेशों और विदेशों के लगभग 200 पत्र-पत्रिकाओं में उनका कॉलम छपता था।

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