धर्म परिवर्तन कर ईसाई बनने वाले वामपंथी विधायक ए राजा की सदस्यता केरल हाई कोर्ट ने समाप्त कर दी है। वह CPI(M) के टिकट पर अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीट से चुने गए थे। हाई कोर्ट ने उनकी विधायकी निरस्त करते हुए कहा कि ईसाई बनने के बाद कोई भी व्यक्ति हिंदू होने का दावा नहीं कर सकता है।
कॉन्ग्रेस नेता डी कुमार ने याचिका दायर कर उनके निर्वाचन को चुनौती दी थी। आरोप लगाया था कि ईसाई बनने के बाद ए राजा ने फर्जी जाति प्रमाण-पत्र का उपयोग कर चुनाव लड़ा था। इस याचिका पर सोमवार (20 मार्च 2023) को सुनवाई करते हुए केरल हाई कोर्ट के जस्टिस पी सोमराजन ने कहा है कि केरल की देवीकुलम सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। चूँकि नामांकन भरने से पहले ए राजा ईसाई बन चुके थे। इसलिए वह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से चुनाव नहीं लड़ सकते थे।
अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि ईसाई बनने के बाद ए राजा हिंदू धर्म से संबंधित होने का दावा नहीं कर सकते। इस आधार पर निर्वाचन अधिकारी को भी उनका नामांकन खारिज कर देना चाहिए था। अदालत ने जनप्रतिनिधित्व कानून, 98 की धारा 1951 के तहत ए राजा का निर्वाचन अमान्य घोषित कर दिया।
क्या है मामला?
साल 2021 में केरल में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस चुनाव में देवीकुलम विधानसभा सीट से माकपा ने ए राजा और कॉन्ग्रेस ने डी कुमार को मैदान में उतारा था। नामांकन दाखिल करने के दौरान डी कुमार ने निर्वाचन अधिकारी के समक्ष इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि ए राजा ईसाई हैं, इसलिए वह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से चुनाव नहीं लड़ सकते। लेकिन तब निर्वाचन अधिकारी ने उनकी दलील खारिज कर दी थी।