नई दिल्ली। चुनाव आयोग (EC) शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के “राष्ट्रीय दर्जे” की समीक्षा करने जा रहा है। इस सिलसिले में मंगलवार को चुनाव आयोग एनसीपी के प्रतिनिधित्व पर सुनवाई करेगा, जिसमें उसके फैसले की समीक्षा की मांग की गई है। कहा जा रहा है कि एनसीपी अब राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे की शर्तों को पूरा नहीं करती है।
चुनाव आयोग को सीपीआई और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के साथ-साथ 2019 के आम चुनाव के बाद एनसीपी को राष्ट्रीय दल के दर्जे की समीक्षा करनी थी। लेकिन विधानसभा चुनावों को देखते हुए आयोग ने यथास्थिति बनाए रखी।
क्या हैं राष्ट्रीय दर्जे के फायदे?
किसी भी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के कई फायदे होते हैं। उन्हें सभी राज्यों में एक जैसा चुनाव चिन्ह मिलता है। साथ ही नई दिल्ली में एक पार्टी दफ्तर के लिए जगह मिलती है। सार्वजनिक टीवी चैनलों पर चुनाव के दौरान फ्री में अपनी बात रखने का समय मिलता है। हालांकि सिंबल ऑर्डर 1968 के तहत, एक पार्टी को राष्ट्रीय दर्जा खोने पर, देश भर में समान चुनाव चिह्न का उपयोग करके चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है।
किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता तब दी जाती है जब उसके उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनावों में चार या अधिक राज्यों में कम से कम 6 फीसदी वोट हासिल करते हैं। इसके अलावा पार्टी को कम से कम चार लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करनी होती है।
अगर एनसीपी का या किसी अन्य पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा छीना जाता है तो उस स्थिति में, पार्टी अपने चुनाव चिह्न का इस्तेमाल केवल उन राज्यों में कर सकेगी जहां उसे राज्य की पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त है। चुनाव आयोग ने 2016 में ‘राष्ट्रीय पार्टी’ की स्थिति की समीक्षा के लिए नियमों में संशोधन किया था, जिसके तहत समीक्षा पांच के बजाय हर 10 साल में होती है।