क्या सोनिया के 2004 के फॉर्मूले पर लड़ा जाएगा 24 का चुनाव, कांग्रेस ने 5 राज्यों में इन दलों से किया था अलायंस

2004 में यूपीए ने कई दलों के साथ किया था गठबंधन (फाइल: सोशल मीडिया)नई दिल्ली। पटना की धरती से शुक्रवार को विपक्षी एकता का बिगुल फूंक दिया गया. महाबैठक में 2024 को सियासी लड़ाई का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है लेकिन अब विपक्षी दलों की अगली बैठक शिमला में होगी. बैठक के बाद 15 विपक्षी दलों से साफ संदेश दिया कि 2024 चुनाव की लड़ाई संपूर्ण विपक्ष बनाम बीजेपी के बीच होगी. मनभेद और मतभेद को भुलाकर सभी विपक्षी दलों ने एक मंच से एक सुर में कहा कि अनेकता में एकता का फॉर्मूला सभी को मंजूर है.

वहीं सीएम नीतीश कुमार से मिलने के बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि ये विपक्षी एकता की ऐतिहासिक बैठक हुई है. बिहार ज्ञान की धरती है. यहां बड़े-बड़े आंदोलन भी हुए हैं. चंपारण से लेकर जेपी आंदोलन तक यहीं से हुए हैं. उन्होंने बताया कि अरविंद केजरीवाल की कोई नाराजगी नहीं है. हमलोग जनता की हित के लिए एकजुट हुए हैं.

यह है मौजूदा विपक्षी दलों की ताकत

राजनीतिक पार्टीलोकसभा सीटेंराज्यसभा सीटें
कांग्रेस4931
जेडीयू1605
डीएमके 2410
टीएमसी2312
शिवसेना (UTB)0603
एनसीपी0504
AAP0110
सपा0303
जेएमएम0102
सीपीएम0305
सीपीआई0202
नेशनल कॉन्फ्रेंस0300

संसद में विपक्षी दलों की मौजूदा स्थिति

यह था 2004 का यूपीए फॉर्मूला

कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने 2004 के फॉर्मूले को फिर से लागू करेगी. कांग्रेस ने इस साल फरवरी में रायपुर में हुए 85वें अधिवेशन में 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता वाला 2004 का यूपीए फॉर्मूला सामने रखा था.

कांग्रेस ने 2004 में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए से मुकाबला करने के लिए चुनाव से पहले पांच राज्यों में समान विचारधारा वाले 6 क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर किया था. इन दलों में महाराष्ट्र में एनसीपी, आंध्र प्रदेश में टीआरएस, तमिलनाडु में डीएमके, झारखंड में जेएमएम और बिहार में आरजेडी-एलजेपी शामिल थीं. कांग्रेस को इन 5 राज्यों में बड़ा चुनावी फायदा हुआ था. 

चौंकाने वाला आया था रिजल्ट

2004 में कांग्रेस ने  417 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 145 जीते थे. वहीं, बीजेपी ने 364 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें 138 पर जीत मिली थी. इन पांच राज्यों की कुल 188 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए 114 सीटें जीतने में कामयाब रही थी, जिसमें से 61 सीटें कांग्रेस ने जीती थी जबकि सहयोगी दल 56 सीटें जीतने में सफल रहे थे. इनमें कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी जबकि लेफ्ट फ्रंट को 59, सपा को 35 और बसपा को 19 सीटें मिली थीं. वहीं, एनडीए और अन्य विपक्षी दलों के खाते में 74 सीटें आई थीं. 

2004 से अब तक काफी कुछ बदल गया

यूपीए में अब 2004 वाले हालात नहीं हैं. इतने वर्षों में कई क्षेत्रीय दल कांग्रेस का साथ छोड़कर दूसरे दलों में जा चुके हैं. इनमें एलजेपी यूपीए के साथ नहीं हैं. कांग्रेस भी पहले से कहीं ज्यादा कमजोर हो चुकी है, इसलिए क्षेत्रीय दल उसके साथ खड़े होने से परहेज कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में लेफ्ट भी अब पहले जैसी स्थिति में नहीं रहा है. इसके अलावा बसपा, जेडीएस, एलजेपी, टीआरएस, टीडीपी, HAM, सुभासपा, बीजद, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया कांग्रेस से दूरी बना चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए 2024 के चुनाव में 2004 की तरह प्रदर्शन कर पाना इतना आसान नहीं होगा.

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