नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी औपचारिक मुनादी भले ही बाकी है लेकिन सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक ने चुनावी बिगुल फूंक दिया है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का मुकाबला करने के लिए विपक्ष ने कमर कस ली है. एनडीए के जवाब में विपक्ष ने नया गठबंधन बनाया है और इसे नाम दिया है- इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी ‘I.N.D.I.A.’.
फिलहाल, नए गठबंधन को अभी कई इम्तेहान से गुजरना होगा जिसमें सबसे बड़ा और पहला इम्तेहान है संयोजक का चुनाव. इसके लिए नीतीश कुमार प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं क्योंकि नीतीश ही वह पहले शख्स हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव में एनडीए से मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता की कवायद शुरू की और विपक्षी दलों को एक मंच पर लेकर आए. लेकिन बेंगलुरु बैठक में जिस तरह से नीतीश कुमार की नाराजगी और प्रेस कॉन्फ्रेंस से गायब रहने की खबरें आईं, उसने इस बात की ओर इशारा कर दिया है कि संयोजक चुनना ‘I.N.D.I.A.’ के लिए आसान नहीं होने वाला.
पटना सा नहीं दिखा नीतीश का रुतबा
दरअसल, 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में नीतीश कुमार उस मुख्य भूमिका में नहीं नजर आए जैसी पटना बैठक में देखने को मिली थी. पटना बैठक में पूरी कमान नीतीश के हाथ में थी. आयोजक भी वही थे, अध्यक्षता भी जेडीयू कर रही थी लेकिन बेंगलुरु बैठक में उनका वह रुतबा नहीं दिखा. यहां तक कि गठबंधन के नामकरण में भी नीतीश का खास रोल नहीं रहा.
नए गठबंधन के लिए नाम का प्रस्ताव ममता बनर्जी की ओर से आया और राहुल गांधी ने इसका समर्थन किया. इसके बाद इसके फुल फॉर्म पर चर्चा हुई. जब गठबंधन के नाम के लिए ‘I.N.D.I.A.’ का सुझाव आया, नीतीश से लेकर सोनिया गांधी तक की राय अलग थी. दोनों ने ही गठबंधन का नाम हिंदी में रखने की वकालत की. अंत में इसी नाम पर सहमति बन गई.
नीतीश ने नाराजगी की खबरों को लेकर क्या कहा
बेंगलुरु बैठक के बाद बीजेपी ने दावा किया कि नीतीश कुमार नाराज हैं. बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले ही नीतीश के पटना रवाना हो जाने को आधार बनाकर ये दावा किया. हालांकि, विपक्षी गठबंधन ने साफ किया कि नीतीश कुमार को फ्लाइट पकड़नी थी और इसी वजह से वे प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले ही चले गए. इस मामले ने तूल पकड़ा तब नीतीश ने भी नाराजगी का खंडन किया.
बिहार के राजगीर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा,”कल अनेक पार्टियों की मीटिंग थी. वहां की मीटिंग खत्म हुई तो हम चल दिए. आज सब बोल रहे हैं कि हम प्रेस कॉन्फ्रेंस में थे ही नहीं. जबकि हम सब बात मानकर वहां से निकले थे. हमको राजगीर आना था, हमारी इच्छा राजगीर आने की हो रही थी. पूरी तरह से हम लोग साथ हैं.’
मुंबई मीट पर सबकी नजर
विपक्षी गठबंधन की बेंगलुरु बैठक में नाम के साथ ही नेतृत्व पर भी फैसले की उम्मीद थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अगली बैठक के लिए मुंबई के नाम का ऐलान किया और कहा कि उसी बैठक में कोऑर्डिनेशन कमेटी के 11 सदस्यों का चयन किया जाएगा. अब सबकी नजरें मुंबई की बैठक पर टिकी हैं. देखने वाली बात होगी कि जिस शख्स ने विपक्षी एकता की कवायद शुरू की, उत्तर से दक्षिण तक राज्यों के दौरे किए, मेल-मुलाकातें की ओर सबको एक मंच पर लाने का आधार तैयार किया, उसे गठबंधन में क्या पद मिलता है?