पाकिस्तान में कई पार्टियां, पर मोहम्मद अली जिन्ना वाली मुस्लिम लीग का क्या हुआ; दिलचस्प है इतिहास

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में फिलहाल कई राजनीतिक दल सक्रिय हैं, लेकिन वह मुस्लिम लीग नजर नहीं आती, जिसने अलग देश की मांग की थी। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज, पाकिस्तान पीपु्ल्स पार्टी और इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख दल हैं। लेकिन वह मुस्लिम लीग अब वजूद में ही नहीं है, जिसका नेतृत्व कभी मोहम्मद अली जिन्ना करते थे। उसी की मांग पर भारत का बंटवारा हुआ था और पाकिस्तान नए देश के तौर पर अस्तित्व में आया था। ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि आखिर उस मुस्लिम लीग का क्या हुआ? आइए जानते हैं, जिन्ना की मुस्लिम लीग का क्या रहा इतिहास…

ख्वाजा सलीमुल्लाह के नेतृत्व में 3,000 प्रतिनिधियों की मौजूदगी में मुस्लिम लीग का गठन 1906 में ढाका में हुआ था। भारत में सांप्रदायिक राजनीति की इसे सांगठनिक शुरुआत माना जाता है। इसकी वजह यह है कि हिंदू महासभा का गठन भी इसके बाद ही हुआ था। 1937 के चुनावों में कांग्रेस को मिली बड़ी जीत के बाद मुस्लिम लीग का रवैया बदला था और उसने पंजाब, सिंध, बंगाल और खैबरपख्तूनख्वा को मिलाकर एक अलग मुस्लिम देश की ही मांग कर दी थी। मोहम्मद अली जिन्ना समेत लीगियों का कहना था कि हिंदू बहुल भारत में मुस्लिमों के हित प्रभावित होंगे। इसलिए मुस्लिमों को अलग राष्ट्र ही मिले।

इसके बाद एक लंबा हिंसक इतिहास रहा है और डायरेक्शन डे से लेकर विभाजन तक भीषण कत्लेआम भी देखने को मिला। खासतौर पर पंजाब और बंगाल में बंटवारे के चलते बड़ी आबादी का एक से दूसरे देश में ट्रांसफर हुआ। कहा जाता है कि इस दौरान हिंसा में 10 लाख लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि पाकिस्तान बनने का मकसद जब पूरा हुआ तो जिन्ना की मुस्लिम लीग को भी भंग कर दिया गया। पाकिस्तान के गठन के बाद मोहम्मद अली जिन्ना देश के गवर्नर जनरल बने। पुरानी मुस्लिम लीग भंग हो गई तो फिर पश्चिमी पाकिस्तान में मुस्लिम लीग और पूर्वी पाकिस्तान में द ऑल पाकिस्तान अवामी मुस्लिम लीग अस्तित्व में आई।

1958 में अयूब खां के दौर में खत्म हुई थी मुस्लिम लीग

पश्चिमी पाकिस्तान को ही आज पाकिस्तान कहा जाता है क्योंकि पूर्वी हिस्सा अब बांग्लादेश के तौर पर एक अलग राष्ट्र बन चुका है। नई बनी मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान को शुरुआती छह प्रधानमंत्री दिए। उनके कार्यकाल बेहद छोटे थे और आखिरकार जनरल अय्यूब खान ने जब 1958 में मार्शल लॉ लगा दिया, तब यह पार्टी भी भंग हो गई। इस तरह जिन्ना की मुस्लिम लीग अब वजूद में ही नहीं रही। भले ही भारत के केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग नाम की पार्टी है, लेकिन पाकिस्तान में ऐसे किसी दल का वजूद ही नहीं है।

पाकिस्तान में मुस्लिम लीग का एक टुकड़ा ही अब वजूद में

पाकिस्तान में मुस्लिम लीग 1958 के बाद भंग हुई तो कई गुटों में बंट गई। उसके अलग-अलग धड़े नए नामों से वजूद में आए, लेकिन मुस्लिम लीग नाम की कोई पार्टी नहीं बची। फिलहाल पाकिस्तान मुस्लिम लीग का सबसे चर्चित धड़ा नवाज़ शरीफ़ की पार्टी है, जिसके अध्यक्ष शहबाज़ शरीफ़ हैं और फिलहाल पीएम भी हैं। इस पार्टी का नाम पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज है।

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