इजरायल के राजनेता, पूर्व इजरायली प्रधान मंत्री एहुद ऑलमार्ट ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में कहा कि, इजरायल पर हमास का हमला वाकई एक बड़ी खुफिया विफलता है. उन्होंने बेंजामिन नेतन्याहू को विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया, हालांकि यह भी जोड़ा कि इजराइल राष्ट्र अभी एक है.
खुफिया तंत्र में कोई विफलता नहींः पूर्व इजरायली पीएम
उन्होंने कहा कि, हम विफलताओं पर बाद में चर्चा करेंगे. एहुद ओलमर्ट ने कहा कि इजराइल के खुफिया तंत्र में कोई विफलता नहीं है और मुद्दा यह नहीं है कि इजराइली अधिकारियों को हमले से पहले हमास द्वारा की गई तैयारियों के बारे में जानकारी नहीं थी. उन्होंने हमले के लिए इजराइल के “अहंकार” को जिम्मेदार ठहराया जिसके कारण उसे विश्वास हो गया कि हमास वास्तव में ऐसा नहीं करेगा, जिसके लिए वे तैयार दिख रहे थे.
‘सब कुछ देखते-जानते भी हम कुछ नहीं कर सके’
लेकिन उन्होंने वही किया और हम सभी सिर्फ आश्चर्यचकित रह गये.” पूर्व इजरायली प्रधान मंत्री ने कहा, “हम सभी कुछ जानते थे, हमने सब कुछ देखा, हमने सभी तैयारियां देखीं, हमारी आंखों और हमारे द्वारा विकसित किए गए उन्नत साइबर सिस्टम की आंखों से कुछ भी छिपा नहीं था.
‘हमास की तैयारी को सिर्फ अभ्यास समझते रहे’
उन्होंने आगे कहा कि इजरायली अधिकारियों ने हमास की तैयारी को “सिर्फ अभ्यास” और “सिर्फ बेवकूफ बनाना” कहकर खारिज कर दिया. एहुद ओलमर्ट ने यह भी कहा कि हमास के हमले से कुछ दिन पहले गाजा पट्टी के आसपास से सैन्य टुकड़ियों को हटाकर दूसरे इलाके में ले जाया गया था. उन्होंने कहा, “वास्तव में हमने प्रमुख सैन्य उपस्थिति वाले सभी क्षेत्रों को खाली कर दिया था.”
इस स्थिति के लिए नेतन्याहू कैसे जिम्मेदार, कही ये बात
पूर्व प्रधान मंत्री ने अपने शासन के तहत हमास समूह को विस्तार करने की “अनुमति” देने के लिए वर्तमान इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भी दोषी ठहराया. एहुद ओलमर्ट ने कहा कि नेतन्याहू ने कहा था कि उनकी “सबसे बड़ी प्राथमिकता” हमास समूह को नष्ट करना है, और कहा, “वास्तव में, उन्होंने इसके विपरीत किया”.
उनके पास टू स्टेट सॉल्यूशन के आधार पर फिलिस्तीनी मुद्दे पर राजनीतिक समाधान की दिशा में फिलिस्तीनी अधिकारियों और उनके राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ बातचीत करने का विकल्प था.एहुद ओलमर्ट ने आरोप लगाया, ”जिस संगठन को नष्ट करने की उन्होंने कसम खाई थी, उसी को उन्होंने वास्तव में बढ़ावा दिया.” ओलमर्ट ने बेंजामिन नेतन्याहू पर “हमास को वित्तपोषित करने के लिए कतर से आए करोड़ों डॉलर” की अनुमति देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इससे ईरान के लिए “हमास की स्थिति को बढ़ावा देने में उससे कहीं अधिक बड़ी भूमिका निभाने” के विकल्प खुल गए.
‘गाजा पर आक्रमण नहीं करना चाहते’
एहुद ओलमर्ट ने संघर्ष पर इज़राइल के रुख पर भी बात की और कहा, “हम गाजा पट्टी पर आक्रमण नहीं करना चाहते हैं, हम इस पर कब्जा नहीं करना चाहते हैं.” उन्होंने कहा कि इजरायली बलों की जवाबी कार्रवाई उन आतंकवादियों के खिलाफ है जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में सबसे क्रूर और अमानवीय तरीके से इजरायली नागरिकों की सामूहिक हत्या का प्रचार किया. “हमारा निर्दोष इजरायली नागरिक, आतंक और क्रूरता के शिकार लोगों के साथ युद्ध नहीं है जो इसमें शामिल नहीं हैं . हम निश्चित रूप से नहीं चाहते कि गाजा में कोई भी व्यक्ति युद्ध की पीड़ा से गुजरे.
‘हम नागरिकों से अनावश्यक टकराव से बचने की कोशिश करेंगे’
उन्होंने कहा कि इज़रायली सेनाएं बहुत आक्रामक होने जा रही हैं और वे “आतंकवादियों पर नज़र रखने और जरूरी कार्रवाई करने के लिए गाजा में हर जगह जाएंगे. उन्होंने कहा, कि हम नागरिक समाज के साथ किसी भी अनावश्यक टकराव से बचने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.” उन्होंने भारतीयों से अपील करते हुए कहा कि, “कभी-कभी वे गाजा से जो तस्वीरें देखते हैं वे सुखद नहीं होंती, लेकिन यह आतंकवादियों से छुटकारा पाने की जरूरत के लिए की गई कार्रवाई का परिणाम भर है.
पूर्व इजरायली प्रधान मंत्री एहुद ओलमर्ट ने इजरायल में हमास आतंकवादियों के हमलों के लिए बेंजामिन नेतन्याहू के अहंकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने यह भी कहा, “हम गाजा जिले पर आक्रमण करने के लिए नहीं निकले हैं. हम आक्रमण नहीं करना चाहते हैं, हम कब्जा नहीं करना चाहते हैं. हम उन आतंकवादियों तक पहुंचना चाहते हैं जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में बेहद क्रूर और अमानवीय तरीके से इजरायली नागरिकों के नरसंहार को अंजाम दिया है.”
हिजबुल्लाह ने बढ़ाया तनाव तो मिलेगी कड़ी टक्कर
उन्होंने कहा कि, गाजा निवासियों की पीड़ा के लिए हमास जिम्मेदार है और इजराइल के पास जवाबी कार्रवाई के अलावा कोई विकल्प नहीं है. एहुद बराक ने यह भी कहा कि अगर हिजबुल्लाह ने उत्तरी सीमा पर तनाव बढ़ाया तो उसे बेहद कड़ी टक्कर मिलेगी. हम यह युद्ध जीतेंगे. मैं ‘टू स्टेट सॉल्यूशन’ का समर्थन करता हूं, लेकिन अभी हमारा ध्यान उस पर नहीं है. मैं और यासर अराफात साल 2000 में बिल क्लिंटन द्वारा आयोजित कैंप डेविड शिखर सम्मेलन के दौरान इस संघर्ष को सुलझाने के बहुत करीब थे. शांति वार्ता की विफलता के लिए यासर अराफात जिम्मेदार हैं.
एहुद ऑल्मर्ट ने बातचीत में यह भी आशंका जताई कि इस क्षेत्र में पूर्ण युद्ध छिड़ सकता है, लेकिन हम यह युद्ध जीतेंगे. उन्होंने भारतीय लोगों और भारतीय प्रधानमंत्री के समर्थन के आभारी जताया और कहा कि, ईरान और पाकिस्तान जैसे देश अस्थिरता पैदा करने वाले देश हैं. अब्राहम समझौते और इसराइल की सऊदी अरब के साथ बढ़ती निकटता से हमास बौखला गया है.