बिहार में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन की आहट मिल रही है। अगर ऐसा होता है तो नीतीश कुमार नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। बिहार के आरजेडी-जेडीयू का गठबंधन टूटने की कगार पर है। वहीं अटकलें चल रही हैं कि नीतीश कुमार की अगुआई में जेडीयू फिर से एनडीए में शामिल हो जाएगी। आम चुनाव से पहले यह एक तरफ भाजपा के लिए बड़ी खुशखबरी होगी तो दूसरी तरफ इस फैसले के साथ ही INDIA गठबंधन पूरी तरह बिखरा नजर आएगा। नीतीश कुमार और भाजपा के बीच लव और हेट स्टोरी पिछले 10 साल से चलती ही ही है। वहीं 23 साल में भले ही पांच बार ही बिहार के विधानसभा चुनाव हुए हों लेकिन नीतीश कुमार 8 बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं।
नीतीश कुमार अपने सहयोगियों को कई बार चौंका चुके हैं। यहां तक कि भाजपा भी कभी उनके मन की बात नहीं जान पाई। नीतीश कुमार ऐसे नेता हैं जिन्होंने भाजपा की कई पीढ़ियों के साथ काम किया है। वह अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मोदी-शाह की भाजपा में काम कर चुके हैं। साल 2000 में वह पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। वहीं वाजपेयी सरकार में वह केंद्र में भी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं।
साल 2000 में भाजपा के समर्थन से ही नीतीश कुमार ने बिहार के सीएम पद की शपथ ळी थी। उस वक्त एनडीए के पास 151 एमएलए थे जबकि आरजेडी के पास 159 विधायक थे। नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ तो ले ली लेकिन सात दिन के भीतर ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया। इसके बाद 2005 के विधानसभा चुनाव में एनडीए में रहते हुए ही वह भाजपा के समर्थन के साथ दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
2014 में छोड़ दिया भाजपा का साथ
नीतीश 14 साल तक भाजपा के साथ चलते रहे लेकिन जब प्रधानमंत्री चेहरे के रूप में नरेंद्र मोदी को प्रोजेक्ट किया गया तो दरार पैदा हो गई। चर्चा यह भी थी कि नीतीश खुद को भी पीएम पद का दावेदार मानते थे। अब उनका कहना था कि भाजपा में अटल-आडवाणी का वक्त खत्म हो गया है इसलिए वह नए लोगों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाएंगे। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि,रहें या ना रहें लेकिन भाजपा के साथ हाथ नहीं मिलाएंगे।
2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश ने फिर से भाजपा के साथ चुनाव लड़ा लेकिन इस चुनाव में आरजेडी को नुकसान ही हुआ। यह बात नीतीश पचा नहीं पा रहे थे। उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन कुछ दिन बाद ही 2022 में एक बार फिर इस्तीफा दे दिया। उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ फिर से आरजेडी का साथ पकड़ा और मुख्यमंत्री बन गए। अब एक बार फिर अटकलें हैं कि नीतीश कुमार आरजेडी का साथ छोड़ सकते हैं।