लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार यूपी में सरकार होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी (BJP) का निराशाजनक प्रदर्शन रहा है। उससे सरकार और संगठन की अंदरूनी कलह खोलकर बाहर आ गई है, जोकि थमने का नाम नहीं ले रही है। पिछले कई मौकों पर यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या संकेतों के माध्यम से अपनी सरकार के फैसलों को निशाना साधा चुके हैं। हाल ही में जब हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण विसंगतियों को लेकर सरकार को नई सूची जारी करने का निर्देश दिया था, तभी केशव प्रसाद मौर्या ने हाईकोर्ट के फैसला का स्वागत किया था, जो कि उनका यह स्वागत सरकार निर्णय के के खिलाफ था। ऐसे कई मौकों पर केशव प्रसाद मौर्या बिना कोई नाम लेते हुए अपनी सरकार के कुछ फैसलों को विरोध करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जो कि यह साफ तौर पर इशारा कर रहा है। यूपी बीजेपी संगठन और सरकार के बीच में पहले से कुछ ठीक नहीं चल रहा है, फिर सरकार के अंदर भी दो गुट बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह न हो भाजपा के लिए ठीक है और न ही सरकार के लिए।
यूपी में भाजपा में फैली गुटबाजी के लिए केंद्र सरकार कई बार कोशिश। मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के पास तक पहुंचा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भुपेंद्र चौधरी, यूपी के दो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या और ब्रजेश पाठक के साथ सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को दिल्ली बुलाया गया। अगल अलग बैठके हुईं, लेकिन मामला फिर भी संभला था। अब सरकार के अंदर गुटों को तोड़ने और संगठन और सरकार के बीच सौहार्द स्थापित करने की जिम्मेदारी भाजपा के नेताओं को तैयारी करने वाली नर्सरी कहने जाने वाली संस्था राष्ट्रीय स्वंय संघ (RSS) के कंधों पर सौंपी गई है। अब आरएसएस को अपनी रणनीति के हिसाब से सरकार और यूपी बीजेपी संगठन के बीच वैसी एक तार को जोड़ना है जैसा खुद के संगठन में दिखाई देता है। अगर RSS सरकार और बीजेपी संगठन के बीच छिड़ी गुटबाजी को तोड़ते हुए और इसे जोड़ने में सफल हो जाती है, तो इसके नतीजे होने वाले यूपी के विधानसभा के उप चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव साफ तौर पर दिखाई देंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो इसका परिणाम ऐसे आएंगे, जो कि न तो मुख्यमंत्री योगी ने सोचा होगा और न ही केशव प्रसाद मौर्या सहित पूरी सरकार और बीजेपी संगठन ने।
याद रखें केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी से मात्र 31 सीटें प्राप्त हुईं तो केंद्र की सरकार को बैसाखी पर ला दिया है। पूर्ण बहुमत का आंकड़ा भी भाजपा अकेले दम पर नहीं छुपाई है। यूपी 80 लोकसभा सीटें केंद्र की सत्ता चलाने में उस प्रकार के अपना रोल निभाती हैं, जैसे गंगा की धारा बिना किसी रुकावट के बहती है। गंगा की धारा की तरह को केंद्र में बने रहने के लिए यूपी में अवरोध हटाना ही होगा। इसी उद्देश्य के साथ RSS के सह सर कार्यवाह अरुण कुमार सावन के खत्म होते ही और राखी में रक्षा की कामना करते हुए लखनऊ आ गए हैं। आज शाम मुख्यमंत्री आवास पर संघ और भाजपा की बैठक होगी। इस बैठक में संगठन और सरकार के बीच चल रहे है घमासान खत्म करने, यूपी विधानसभा के उप चुनाव, 2027 के विधानसभा चुनाव के साथ कई मुद्दों पर चर्चा होगी।
हालांकि आरएसएस के सह सरकार्यवाह के लखनऊ आने की खबर मिलते ही सूबे की सियासी गर्म सीएम योगी और डिप्टी सीएम मौर्या के बीच बर्फ पिघलने लगी है। इसका इसका इस बात से भी पता लगाया जा सकता है कि हाल ही में यूपी के उप मुख्यमंत्री मौर्या ने एक कार्यक्रम में यह योगी आदित्यनाथ देश में सबसे अच्छे सीएम है, उनके जैसा दूसरा कोई नहीं है। सियासी जानकार की मानें तो यह बदलाव अरुण कुमार के लखनऊ आने से दिखाई दे रहा है। अरुण कुमार संघ की ओर से बीजेपी और आरएसएस में कोआर्डिनेशन का काम करते हैं। उन्हें पिछले महीने ही लखनऊ की हवा पानी में सुधार करने के लिए आना था। हालांकि घमासान में थोड़ी ठंड का इंतजार करते हुए अपना यह दौरा रद्द कर दिया था।
इस मीटिंग के अलावा अरुण कुमार कई लोगों को भी मीटिंग करेंगे, जिसमें यूपी में बीजेपी के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी से साथ होने वाली बैठक शामिल है। इन नेताओं के साथ होने वाली बैठक में कई मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है। इसके अलावा लोकसभा परिणाम के बाद से यूपी बीजेपी और आरएसएस के बीच कोई बैठ नहीं हुई है, वो भी बैठक होनी है। सह सरकार्यवाह अरुण कुमार की इस दौरान संघ के प्रांत प्रचारकों संग भी बैठक होनी है। चार प्रांतों अवध, कानपुर, काशी और गोरक्ष प्रांत के प्रमुख को लखनऊ बुलाया गया है।