पत्र में कहा गया है कि मेडिकल जाँच में यह साबित हुआ था कि सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार जिन आरोपितों को कोर्ट में लाए थे उनके शरीर पर चोटों के निशान पाए गए थे।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में सोमवार (16 सितंबर, 2024) को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में जज द्वारा अभद्रता का आरोप लगा कर सचिन कुमार नाम के सब इंस्पेक्टर आत्महत्या के लिए रेलवे ट्रैक पर बैठे दिखे थे। तब अन्य पुलिसकर्मी अपने साथी को समझा-बुझा कर साथ ले गए थे। बाद में दारोगा ने अपने थाने में तहरीर देते हुए बताया था कि मुस्लिम समुदाय के 5 बाइक चोरों को पेश करने के दौरान रिमांड मजिस्ट्रेट अभिषेक त्रिपाठी ने उनको धमकी देते हुए अभद्रता की। अब इस मामले में मजिस्ट्रेट का भी बयान सामने आया है। उन्होंने पुलिसकर्मी पर ही खुद से अभद्रता करने का आरोप लगाया है।
रिमांड मजिस्ट्रेट अभिषेक त्रिपाठी का बयान एक आधिकारिक पत्र के जरिए बताया गया है। इसमें कहा गया है कि मेडिकल जाँच में यह साबित हुआ था कि सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार जिन आरोपितों को कोर्ट में लाए थे उनके शरीर पर चोटों के निशान पाए गए थे। इसी के साथ आरोपितों की गिरफ्तारी की सूचना भी उनके घर न देने का आरोप पुलिस पर लगाया गया है। मजिस्ट्रेट ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए इसे गिरफ्तारी के नियमों के विरुद्ध बताया है।
जज अभिषेक त्रिपाठी ने आगे बताया है कि जब इस गलती की तरफ कोर्ट में सब इंस्पेक्टर सचिन का ध्यान दिलाया गया तो उन्होंने कहा, “पुलिस के पास इतना समय नहीं है कि ऐसे फालतू की सूचनाएँ अभियुक्तगण के परिवारीजनों को देते फिरें।” मजिस्ट्रेट का यह भी आरोप है कि जब उन्होंने दारोगा से सारी औपचारिकताएँ पूरी कर के लाने को कहा तो उनके खिलाफ अभद्र भाषाओं का प्रयोग किया गया। बकौल मजिस्ट्रेट तब सब इंस्पेक्टर ने कहा, “रिमांड मजिस्ट्रेट का कार्य रिमांड करना है।”
जज अभिषेक त्रिपाठी ने आगे बताया कि सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार ने उन्हें नसीहत भी दी कि पुलिस जिस भी आरोपित को लाएगी उसके कागजों को बारीकी से देखे बिना ही रिमांड देना कोर्ट की मजबूरी है। इस दौरान सब इंस्पेक्टर पर लगातार जज से अभद्रता का भी आरोप है। बकौल जज अभिषेक त्रिपाठी जब उन्होंने दारोगा को अभद्रता करने से रोका तो उन्हें जवाब मिला, “पुलिस ने बड़े-बड़े जज ठीक कर दिए हैं। अभी एक रिपोर्ट लिखा देंगे तो दिभाग ठिकाने आ जाएँगे।”
दारोगा सचिन कुमार पर खुद को धमकाने का आरोप लगाने वाले जज अभिषेक त्रिपाठी ने इस हरकत को न्यायिक कार्य में बाधा डालना बताया है। पत्र में इसे अपने हक में फैसला पाने के लिए की गई न्यायालय की अवमानना लिखा गया है। आरोपितों को सब इंस्पेक्टर द्वारा वापस अपने साथ ले जाने की वजह से जज ने उन्हें न्यायिक कस्टडी में ले पाने में अक्षम बताया है। केस डायरी को कोर्ट मोहर्रिर द्वारा अपने पास रखने के भी निर्देश दिए गए हैं।
पुलिसिया कार्रवाई ने वादी मुकदमा की गलती निकालते हुए जज अभिषेक त्रिपाठी ने इसे अनियमितता माना है और जिले के एसएसपी को रिपोर्ट प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं। सब इंस्पेक्टर की हरकत को मजिस्ट्रेट ने दुराचार भी करार दिया है और इसकी एक प्रति अलीगढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी भेजी है। ऑपइंडिया के पास इस पत्र की कॉपी उपलब्ध है। फ़िलहाल इस विवाद पर अब तक अलीगढ़ पुलिस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पुलिस का पक्ष आने पर उसे खबर में अपडेट किया जाएगा।
गौरतलब है कि यह घटना अलीगढ़ के थानाक्षेत्र बन्नादेवी की है। यहाँ पुलिस ने बाइक चोरों के एक गिरोह का पर्दाफाश किया था जिन पर पहले से कई केस दर्ज पाए गए। गिरफ्तार किए गए आरोपितों मेंअदीब, शारिक, आगिर अरबाज एवं फैज शामिल थे। इनके विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 317(2), 317(4) और 317(5) के तहत कार्रवाई की गई थी। सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार का आरोप है कि इन आरोपितों की रिमांड बनवाने के दौरान मजिस्ट्रेट ने उन्हें बेइज्जत करते हुए मुस्लिमों को झूठा फँसाने का आरोप लगाया था।