मुख्य अभियंता आर एन सिंह पर मडरा रहे काले बादल, फॉरेंसिक संस्थान निर्माण में 10 करोड़ के घोटाले का मामला

-: भ्रष्टाचार में डूबा है लोक निर्माण विभाग, फॉरेंसिंक इंस्टीट्यूट (लैब) के निर्माण कार्य का मामला :-


लोकायुक्त में हुई सिकायत पर शुरू हुई जांच से PWD मचा हडकंप

बिना टेंडर के 49 करोड़ का आगणित दरों पर कराया गया कार्य 

समझौता कराने में लगा तथाकथित बड़ा पत्रकार, खबर प्रकाशित कर कररहा ब्लैक-मेल कराने का प्रयास 

मुख्य अभियंता आर एन सिंह के आगे बेबस प्रमुख सचिव

लोक निर्माण विभाग के नाक पर बैठकर अभियंताओं ने की करोड़ों की हेराफेरी

विधायक ने पत्र लिखकर लोक निर्माण विभाग में उठाए हैं भ्रष्टाचार के सवाल

उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज

राजधानी से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित सरोजनीनगर के पिपरसंड में 2021 में उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में किया गया था। लेकिन अब इस परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों ने निर्माण के दौरान करीब 10 करोड़ रुपये का घोटाला किया है।

वहीँ योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि भ्रष्टाचार के संबंध में प्रदेश सरकार की जीरो टालरेंस नीति पर चल रही है, इसके मद्देनजर भ्रष्ट गतिविधियों में संलिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने में कोई संकोच नहीं किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने एक उच्चस्तरीय बैठक में यह बात कही थी। किसी भी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी के बड़े अफसर के साथ कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर समीक्षा बैठक करते रहते हैं, लेकिन लोक निर्माण विभाग के एक अधिशासी अभियंता अशोक कुमार और सहायक अभियंता अकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। कई करोड़ों रुपए का सुनियोजित ढंग से ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया है। इसका खुलासा एक विधायक द्वारा प्रमुख सचिव को भेजे गए पत्र के माध्यम से हुआ है।

प्रमुख सचिव ने विधायक के पत्र पर संज्ञान लेते हुए मुख्य अभियंता को अविलंब कार्रवाई करते हुए एक सप्ताह के अंदर अवगत कराने का आदेश जारी किया है। लेकिन विधायक का पत्र मुख्य अभियंता की टोकरी में धूल फांक रहा है। सरोजनीनगर के पिपरसंड में प्रदेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट यूपी स्टेट फोरेंसिक साइंसेज इंस्टीट्यूट में आवासीय परिसर का पत्र में अधूरा निर्माण होने का हवाला दिया गया। इसका शिलान्यास केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया था।

सूत्रों के अनुसार कई वर्ष पहले यही निर्माणाधीन बिल्डिंग ढह गयी थी। जिसमे दो मजदूर दबकर मर गए थे। कई मजदूर घायल भी हुए थे। इस घटना के उपक्रम में कंपनी के कर्मचारी आरोपित हुए थे, जो आज तक अपनी जीवन शैली से उभर नही पाए हैं।

विधायक के पत्र ने लोक निर्माण विभाग की भ्रष्ट कार्यप्रणाली की पोल खोल कर रख दी है। लोक निर्माण विभाग के भ्रष्टतंत्र की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां विधायक का पत्र गत माह से मुख्य अभियंता के यहां धूलफांक रहा है, जिससे लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंचता ही जा रहा है। इस मुद्दे पर लोक निर्माण विभाग के आला अधिकारियों ने चुप्पी साथ ली है।

बताते चलें कि विधायक ने एक पेज का पत्र प्रमुख सचिव को लिखा था, जिसमें लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता अशोक कुमार और एक सहायक अभियंता द्वारा छठे तल तक फॉरेंसिंक इंस्टीट्यूट का भवन बनाने का शासन द्वारा आदेश हुए था,लेकिन भवन निर्माण पांचवे तल तक ही कराया गया,छठे तल का निर्माण न कराने के बाद ठेकेदार को पूरा भुगतान करा दिया गया है। विभाग के अधिकारी की मनमानी और भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े कर दिए है।

पत्र में विधायक ने लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार का पूरा ब्यौरा दिया है,जिसमे स्पष्ट है कि कब, कहां और किस तरह धांधली हुई है। शासनादेश संख्या 461/23-5-2021-25ईजी /13 दिनाक 20 -07 -2021 जारी होने के उपरांत अधिशासी अभियंता अशोक कुमार 5 करोड़ के ऊपर के करा सकते है। इसके उपक्रम में शासनादेश का अनुपालन नहीं कराया जा रहा है। अशोक कुमार द्वारा 05 करोड़ से नीचे का कार्य कराने में ज्यादा दिलचस्वी ली जा रही है, जिसके कारण शासन के प्राथमिकता के कार्य नही हो पा रहे हैं तथा गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। 05 करोड़ से नीचे के कार्य इनके अपने ठेकेदार कर रहे है और मानक के विरुद्ध कार्य किया जा रहा है,जिसकी गहन जांच की विधायक ने मांग की है।

पत्र में आगे उल्लेख करते हुए बताया कि दिनाक 20 जुलाई 2021 को मुख्य अभियंता के आदेश के क्रम में स्टोर की समस्त सामग्री प्रांतीय खंड को हस्तगत होना था, परंतु बक्खाखेड़ा मार्ग पर बुक निर्गत बिटमिन हस्तगत नही किया गया तथा इस मार्ग पर बुक निर्गत 28 टन बिटमिन का दुरुपयोग किया जिसकी भी गहन जांच करने की मांग विधायक ने अपने पत्र में उल्लेख किया है।
विधायक ने अधिशासी अभियंता के कारनामों का सरकार से ध्यान आकर्षित करना चाहा है और कहा गया है कि लोक निर्माण विभाग में धांधली चरम पर है।

जबकि शासन द्वारा यूपी स्टेट फोरेंसिक साइंसेज इंस्टीट्यूट के निर्माण के लिए लगभग 207 करोड़ स्वीकृत हुए था, जिसमें कंपनी ने 13 फीसदी विलो पर लगभग 163 करोड़ का बॉन्ड बनाया था, बाद में इस प्रोजेक्ट को साज सज्जा व अतिरिक्त के लिए शासन से लगभग 50 करोड़ का अतिरिक्त फंड लिया गया। नियमत नियमत इसको भी टेंडर करना चाहिए लेकिन मुख्य अभियंता,अधिशासी अभियंता और सहायक अभियंता की मिलीभगत से बिना टेंडर करे ही कंपनी को अतिरिक्त मद स्वीकृत कर दिया,यानी कुल धन 213 करोड़ स्वीकृत हुआ था, जिससे सरकारी धन को क्षति हुई है।

सूत्रों का कहना है कि फॉरेंसिंक इंस्टीट्यूट के आवासीय परिसर का निर्माण मानक विहीन हुआ है। यह आवासीय भवन टाइप 2 बी पांचवे तल तक ही बना हुआ है, जबकि छह तल तक बनना था। अभियंताओं ने पार्किंग एरिया में टाइप 2 ए और टाइप 2बी में एक एक आवासीय परिसर बना दिया है,जिससे निवास करने वालो को भरी दिक्कतो का सामना करना होगा। मानक विहीन निर्माण करके ठेकेदार को पूरा भुगतान करके सरकारी धन का बंदरबांट किए जाने का विधायक ने आरोप लगाया है ।
विधायक के पत्र के माध्यम से लोक निर्माण विभाग में करोड़ों के भ्रष्टाचार का पिटारा खुला है।

जबकि लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता आर एन सिंह भी भ्रष्टाचार खुलने के डर के कारण दूरी बना रखी है । विधायक का यह पत्र मुख्य अभियंता की रद्दी टोकरी में पड़ा हुआ धूल चाट रहा है, जिस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सूत्रों का कहना है कि अधिशासी अभियंता अशोक कुमार, मुख्य अभियंता आर एन सिंह का बहुत ही चहेता है,इस वजह से मुख्य अभियंता ने विधायक के पत्र पर कोई खास ध्यान नहीं दिया है।

सरकारी तंत्र में कई सालो से भ्रष्टाचार चल रहा है,इससे साफ जाहिर हो जाता है कि विभाग में चल रहे गड़बड़ झाले पर मुख्य अभियंता अंकुश लगाने के मूड में नहीं है। इस संबंध में अधिशासी अभियंता और मुख्य अभियंता आर एन सिंह बोलने से कतरा रहे है। सूत्र बताते हैं यह सब हेराफेरी सहायक अभियंता,अधिशासी अभियंता और मुख्य अभियंता की मिलीभगत से हुआ है ।
इस प्रकार के भ्रष्टाचार शासन स्तर तक नहीं पहुंच पाते हैं। इस संबंध में जब अधिशासी अभियंता और मुख्य अभियंता से बातचीत की गई तब टालमटोल करते हुए जवाब देने से कतरा रहे है।

विधायक के पत्र पर प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग द्वारा एक सप्ताह में जांच आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश तो दिये गये थे लेकिन अब तक हुआ कुछ नहीं। हाल ही में लोक आयुक्त में इसकी शिकायत की गई है। शिकायत में आरोप है कि फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट के निर्माण कार्य में स्वीकृत टावरों में छठे तल के चार आवासों का निर्माण नहीं किया गया और उन्हें नियमों के विरुद्ध स्टिल्ट फ्लोर में बनाया गया। इसके परिणामस्वरूप पार्किंग एरिया प्रभावित हुआ और लगभग 1 करोड़ रुपये की शासकीय धन की हानि हुई है।

निर्माण कार्य में 49 करोड़ रुपये का कार्य बिना टेंडर या कोटेशन के आगणित दरों पर कराया गया। इस कार्य की निविदा में ठेकेदार का अनुबंध 13 प्रतिषत कम राशि पर बना था, जिससे शासकीय खजाने को 6 करोड़ रुपये की हानि का सामना करना पड़ा। कानपुर मार्ग से परिसर पहुँच मार्ग के निर्माण में 10 सेमी मोटाई की स्वीकृत बिटमिन की परत की जगह मात्र 3-4 सेमी मोटाई की परत डाली गई, जिससे 1 करोड़ रुपये की शासकीय धन की हानि का अनुमान है।

फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट परिसर में गद्दे और फर्नीचर मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए, जिससे 1 करोड़ रुपये की शासकीय हानि हुई। साथ ही, सीसी मार्ग का निर्माण भी मानकों के अनुरूप नहीं हुआ, जिसके कारण निर्माण पूरा होने से पहले ही मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया। शिकायतकर्ता ने आर. एन. सिंह, मुख्य अभियंता, पर भ्रष्टाचार में संलिप्तता और अधिशासी अभियंता अशोक कुमार को संरक्षण देने का भी आरोप लगाया है।

पूर्व विधायक के पत्र पर प्रमुख सचिव द्वारा जांच के निर्देश के बावजूद अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का संकेत है। शिकायत और मीडिया रिपोर्टस के बाद यह मामला तूल पकड़ रहा है। मामले में शामिल अधिकारियों पर कार्यवाही और शासकीय धन की हानि की भरपाई के लिए कार्रवाई हो सकती है।

जांच प्रक्रिया व को तेज करने के निर्देश दिए गये हैं, ताकि शासकीय धन का सही इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके और दोषियों पर कार्रवाई हो सके। आपको व बता दें कि लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता अशोक कुमार ने सचिव, लोक आयुक्त उत्तर प्रदेश, राजेश कुमार को एक पत्र भेजकर समयवृद्धि की मांग की है। अधिशासी अभियंता ने नि अपने पत्र में उल्लेख किया है कि सचिव द्वारा 23 अगस्त 2024 को भेजे गए पत्र के अनुसार, उन्हें व 1 अगस्त 2024 को प्रस्तुत परिवाद पर तथ्यात्मक आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। इस नि आख्या के लिए आवश्यक अभिलेख और दस्तावेज़ है अत्यधिक विस्तृत हैं, जो विभिन्न कार्यालयों से एकत्रित किए जा रहे हैं। अशोक कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि दस्तावेजों का संकलन और विश्लेषण करने के लिए समय की आवश्यकता है। इसी कारण उन्होंने 45 दिवस की समयवृद्धि की मांग की है ताकि दोषारोपण पर सटीक और तथ्यात्मक आख्या प्रस्तुत की जा सके। अब देखना यह है कि इस मामले में शासन स्तर पर क्या कार्यवाई की जाती है।