टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने बुधवार को वीवीएस लक्ष्मण की किताब के बारे में बात करते हुए कई खुलासे किए. इनमें सबसे खास बात सौरव ने यह बताई की लक्ष्मण की मशहूर 281 रनों की पारी जिस पर वीवीएस की आत्मकथा का नाम भी लिखा गया है, की पारी का उनके करियर में अहम योगदान रहा. सौरव ने इस आधार पर किताब के लिए नया नाम तक सुझा दिया. इस मौके पर लक्ष्मण ने भी बताया कि कैसे और कब उन्होंने रिटायर होने के बारे में सोचना शुरू कर दिया था.
सौरव ने कहा कि 2001 में ईडन गार्डन्स में आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई वीवीएस लक्ष्मण की 281 रन की पारी ने उनके करियर को बचा लिया. गांगुली ने यहां लक्ष्मण की आत्मकथा ‘281 एंड बियॉन्ड्स’ के विमोचन के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि लक्ष्मण की दूसरी पारी में खेली गई उस मैराथन पारी ने न सिर्फ देश को बचाया बल्कि एक कप्तान के रूप में उनकी भी काफी मदद की.
इतना अहम था यह मैच
मुंबई में हार के बाद भारतीय टीम 0-1 से पीछे थी और कोलकाता टेस्ट में उसे फालोआन खेलने के लिए कहा गया था लेकिन लक्ष्मण की 281 और राहुल द्रविड़ की 180 रन की पारी और दोनों के बीच पांचवें विकेट की 376 रन की साझेदारी से भारत 171 रन की यादगार जीत दर्ज करने में सफल रहा. इस हार के साथ स्टीव वा की टीम का रिकार्ड लगातार 16 जीत का अभियान भी थम गया.
यह टाइटल होना चाहिए किताब का
हैदराबाद के लक्ष्मण ने जब अपनी आत्मकथा लिखने का फैसला किया तो किताब के शीर्षक ‘281 एंड बियोंड’ के लिए उन्हें अधिक सोच विचार नहीं करना पड़ा. गांगुली ने हालांकि मजाकिया लहजे में कहा कि वह शीर्षक से निराश हैं. किताब के कोलकाता चरण के विमोचन के दौरान गांगुली ने कहा, ‘‘मैंने एक महीना पहले उसे एमएमएस किया था लेकिन उसे जवाब नहीं दिया. मैंने उसे कहा था कि यह उपयुक्त शीर्षक नहीं है. इसका शीर्षक होना चाहिए ‘281 एंड बियोंड और डेट सेव्ड सौरव गांगुली करियर’.’’ उन्होंने कहा, “यदि उन्होंने 281 का स्कोर नहीं किया होता तो हम वह मैच हार गए होते.” वहीं, लक्ष्मण ने कहा, “आखिरी दिन चायकाल के बाद मुझे विश्वास होने लगा कि हम जीत सकते हैं.”
मैच ने कई सबक भी सिखाए
सौरव ने कहा, “ईडन गार्डन्स में उस जीत ने न केवल भारतीय क्रिकेट की मदद की बल्कि हमें जीवन के सबक भी सिखाए. हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए. हमेशा हर समस्या का हल ढूंढने का प्रयास करना चाहिए.” मैच फिक्सिंग प्रकरण से बेहाल भारतीय क्रिकेट 21वीं सदी की शुरुआत में मुश्किल दौर से गुजर रहा था जब सौरव गांगुली को टीम की कमान सौंपी गई.
ऐसे फैसला लिया रिटायरमेंट का
लक्ष्मण ने कहा कि 2003 के विश्व कप में नहीं चुने जाने के बाद उन्होंने क्रिकेट को छोड़ने का मन बना लिया था. लक्ष्मण को 2003 विश्व कप के लिए दक्षिण अफ्रीका जाने वाली टीम से बाहर कर दिया गया. पूर्व बल्लेबाज ने कहा, “यह मेरे करियर का सबसे खराब समय था. मैं उस समय भारत-ए टीम के साथ था. मैं भारत-ए दौरे के लिए नहीं जाना चाहता था लेकिन मेरे पिता ने मुझे ऐसा करने को कहा. बाद में, मैं समय बिताने के लिए अमेरिका चला गया और मुझे लगा कि मैं दोबारा नहीं खेल पाऊंगा.” टेस्ट क्रिकेट में सफल करियर के बावजूद लक्ष्मण का सीमित ओवरों का करियर आगे नहीं बढ़ पाया और वह सिर्फ 86 एकदिवसीय मैच खेल पाए. गांगुली ने हालांकि कहा कि शायद यह गलती थी.