नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में अवैध खनन के आरोप में फंसी चर्चित आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला (B Chandrakala) से प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम पूछताछ कर रही है. बताया जा रहा है कि लखनऊ स्थित ईडी के दफ्तर में उनसे अवैध खनन टेंडर जारी करने संबंधित सवाल जवाब किए गए हैं. इससे पहले बी चंद्रकला ईडी के सामने पेश नहीं हुई थीं, और उन्होंने अपने वकील को दस्तावेजों के साथ ईडी दफ्तर भेजा था. हालांकि, इन दस्तावेजों से ईडी संतुष्ट नहीं था.
हमीरपुर जिले से जुड़े इस अवैध खनन केस में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें आईएएस चंद्रकला का नाम भी है. उन पर हमीरपुर डीएम रहते हुए नियमों के खिलाफ जाकर खनन टेंडर जारी करने का आरोप है. सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. चंद्रकला के घर पर भी रेड की गई थी. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने इस पूरी प्रक्रिया में पैसों के लेन-देन का पता लगाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है, जिसके बाद आरोपियों से पूछताछ की जा रही है.
ईडी ने बी. चंद्रकला को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए 24 जनवरी को लखनऊ दफ्तर में पेश होने का आदेश दिया था. लेकिन वह पूछताछ में शामिल नहीं हुई थीं और उन्होंने अपने वकील को संबंधित दस्तावेजों के साथ भेजा था. ईडी इन दस्तावेजों से संतुष्ट नहीं था, जिसके बाद उन्हें आज (30 जनवरी) फिर पूछताछ के लिए बुलाया गया.
सूत्रों के मुताबिक, बी. चंद्रकला से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि 31 मई 2012 को जो खनन पट्टे सपा एमएलसी रमेश मिश्रा के परिवारवालों (जगदीश सिंह और करन सिंह ) के नाम पर जारी किए गए, क्या उन सभी पट्टों को जारी करने की अनुमति तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और खनन मंत्री गायत्री प्रजापति के द्वारा की गई थी?
जांच के दायरे में चंद्रकला की संपत्ति
बी. चंद्रकला की संपत्ति पर भी ईडी की नजर है. दरअसल, बी. चंद्रकला की संपत्ति में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. 2011-12 के दौरान उन्होंने 10 लाख की संपत्ति घोषित की थी, जबकि साल 2013-14 में यह बढ़कर एक करोड़ हो गई. ऐसे में संपत्ति 10 गुना कैसे बढ़ी ये सवाल भी चंद्रकला के लिए मुसीबत बन सकते हैं.
बता दें कि चंद्रकला ने 2011 में जो अचल संपत्ति का ब्योरा दिया था, उसमें एक भी संपत्ति नहीं खरीदने की जानकारी थी. जबकि 2012 में फाइल किए गए रिटर्न में चंद्रकला ने 10 लाख रुपये की एक जमीन की खरीद दिखाई. यह जमीन उनके पति के नाम से खरीदी गई थी. 2013 में फाइल किए गए रिटर्न के मुताबिक चंद्रकला ने रंगारेड्डी जिले में 30 लाख रुपये का एक मकान खरीदा और इस मकान को खरीदने के लिए उन्होंने 23.50 लाख रुपये का लोन लिया.
इसके बाद 2014 में चंद्रकला ने जो रिटर्न फाइल किया, उसमें 2012 में लखनऊ में सरोजनी नायडू मार्ग पर खरीदे एक फ्लैट की जानकारी दी. इसी फ्लैट पर सीबीआई ने छापेमारी भी की. यह फ्लैट उनकी बेटी के नाम है. इसके अलावा 2013 में चंद्रकला ने आंध्र प्रदेश के करीमनगर में 2.37 एकड़ कृषि की जमीन खरीदी. इस जमीन के लिए भी उन्होंने कोई लोन नहीं लिया. ईडी इस पर भी चंद्रकला से जवाब तलब कर सकती है.
आरोप है कि ई-टेंडर नीति का उल्लंघन करते हुए तत्कालीन यूपी के तत्तकालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय से एक ही दिन में कई खनन पट्टों को मंजूरी दी गई थी. सीबीआई का दावा है कि सीएम कार्यालय की तरफ से 2012 की ई-टेंडर नीति का उल्लंघन किया गया. इसके बाद 17 फरवरी 2013 को हमीरपुर की जिलाधिकारी बी चंद्रकला ने खनन पट्टे जारी कर दिए. खास बात ये कि जो खनन पट्टे जारी किए गए वह सपा नेता के रिश्तेदारों के नाम पर हैं. ऐसे में इस पूरे केस में सपा सरकार और अखिलेश यादव पर भी सवाल उठ रहे हैं. यहां तक कि उनपर पूछताछ की तलवार भी लटक रही है.