नई दिल्ली। निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक की स्वतंत्र जांच में बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर को विभिन्न नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया है. इसके बाद बैंक ने कोचर को विभिन्न सेवानिवृत्ति लाभ के भुगतान पर रोक लगाने और 2009 से उन्हें मिले बोनस को वापस लेने का फैसला किया है. बैंक कोचर के इस्तीफे को उनकी ‘गंभीर गलतियों के लिये बर्खास्तगी’ के तौर लेगा. इससे पहले बैंक ने कोचर को वीडियोकॉन लोन मामले में क्लीनचिट दी थी.
कोचर ने नीतियों और अन्य नियमों का उल्लंघन किया
आईसीआईसीआई बैंक की स्वतंत्र जांच की यह रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई है जब कुछ समय पहले ही सीबीआई ने वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का ऋण देने के मामले में एक-दूसरे को फायदा पहुंचाने के आरोप में कोचर और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाली स्वतंत्र जांच समिति ने पाया कि कोचर ने बैंक की नीतियों और अन्य नियमों का उल्लंघन किया है.
आगे की जरूरी कार्रवाई करने की सलाह दी
समिति के निष्कर्षों के आधार पर आईसीआईसीआई बैंक के निदेशक मंडल ने इस मामले में ‘आगे की जरूरी कार्रवाई करने की सलाह दी है’. इस बीच, आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ संदीप बख्शी ने कहा कि बैंक ने कोचर को लेकर एक बयान जारी किया है और बैंक की भूमिका अब नियामक एजेंसियों के साथ सहयोग करने तक ही सीमित है. बैंक ने बुधवार को फैसला किया कि बैंक की आंतरिक नीतियों, योजनाओं और आचार संहिता के तहत कोचर के इस्तीफे को उनकी ‘गंभीर गलतियों पर बर्खास्तगी’ के तौर पर लिया जाएगा.
बयान में कहा कि कोचर की सभी मौजूदा और भविष्य के अधिकारों को वापस लिया जाता है. जिसमें बिना भुगतान वाली रकम, बकाया बोनस या वेतन वृद्धि और चिकित्सा लाभ समेत अन्य चीजें शामिल हैं. निदेशक मंडल ने बैंक को कोचर को अप्रैल 2009 से मार्च 2018 तक दिए गए सभी बोनस को वापस लेने के लिए भी कदम उठाने के लिए कहा है.
रिपोर्ट में पाया गया है कि ‘कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक की आचार-संहिता, हितों के टकराव और विश्वास संबंधी कर्तव्यों की उसकी रुपरेखा और इस संबंध में भारतीय कानूनों और नियमों का उल्लंघन किया है.’ रिपोर्ट में कहा गया कि कोचर के स्तर पर वार्षिक खुलासों की जांच-पड़ताल में ढिलाई बरती गई और आचार संहिता का उल्लंघन किया गया.