नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में कल आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर दिया. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए. सूत्रों के हवाले से खबर है कि आतंकियों ने फिदायीन हमला कर सेना की जगह सीआरपीएफ की टुकड़ी को निशाना बनाया था. सीआरपीएफ को निशाना बनाने के लिए आतंकियों ने पहले से ही रणनीति तैयार कर ली थी.
ज्यादा से ज्यादा जवानों को निशाना बनाना चाहते थे आतंकी
दरअसल सेना के काफिले में जवानों की तादाद कम होती है. जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ज्यादा से ज्यादा जवानों को निशाना बनाना चाहते थे. जिसकी वजह से सीआरपीएफ की टुकड़ी को निशाना बनाया गया, क्योंकि सीआरपीएफ की टुकड़ी में ज्यादा जवानों का एक साथ मूवमेंट होता है.
जैश आतंकियों का गढ़ माना जाता है दक्षिणी कश्मीर
इतना ही नहीं दक्षिणी कश्मीर को जैश आतंकियों का गढ़ माना जाता है, इसलिए हमले के लिए पुलवामा को चुना गया. इस सबसे बड़े आतंकी हमले की साजिश पाकिस्तान में छह महीने पहले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय में रची गई थी. इस आतंकी साजिश में तीन मुख्य किरदार मसूद अजहर, राशिद गाजी और आदिल थे. साजिश के बारे में कश्मीर में मौजूद आंतकी संगठनो को भी नही बताया गया था.
सेना के काफिलों के दौरान आम लोगों की आवाजाही बंद होगी
बता दें कि आज इस आतंकी हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बड़ा फैसला किया है. गृह मंत्रालय राजनाथ सिंह ने कहा है कि अब कश्मीर घाटी में सेना के काफिलों के दौरान आम लोगों की आवाजाही को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा.