नई दिल्ली। भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे देश को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने कुछ ही देर पहले अंतरिक्ष में एक सैटेलाइट को मार गिराया है. भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. अंतरिक्ष में होने वाला ये मिशन पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण जैसा ही था. इस परीक्षण के बाद भारत ने एक बार फिर दुनिया में अपना लोहा मनवाया है.
ये मिशन क्यों खास?
वैज्ञानिकों की मानें तो भारत का ये सफल ऑपरेशन बहुत महत्वपूर्ण है. आजतक से बात करते हुए वैज्ञानिक आरपी टंडन ने बताया कि अब भारत जल, नभ और थल के अलावा अंतरिक्ष में भी दुश्मन की हरकतों पर नज़र रख सकता है. यानी अगर कोई दुश्मन देश अंतरिक्ष में सैटेलाइट के जरिए भारत पर नज़र रख रहा है या फिर जासूसी कर रहा है तो भारत उसकी ही मिसाइल को नष्ट कर सकता है.
ये मिशन पूरी तरह से मेक इन इंडिया है, यानी इस मिशन को इसरो और DRDO की सहायता से ही पूरा किया गया है.
जब पोखरण परीक्षण से हिल गई थी दुनिया…
इस लिहाज से भारत की ये उपलब्धि उतनी ही बड़ी है जितना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में हुआ परमाणु परीक्षण. तब भी दुनिया के किसी देश को खबर नहीं थी कि भारत इतनी बड़ी तैयारी कर रहा है या फिर कर भी दिया है. और आज भी बिल्कुल ऐसा ही हुआ है.
11 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में 3 परमाणु बमों का सफल परीक्षण किया गया था, इसी के साथ ही भारत न्यूक्लियर नेशन बन गया था. न्यूक्लियर टेस्ट का काम पर्दे के पीछे किया गया था, ताकि किसी को खबर ना लग सके. यहां तक कि अमेरिका के खुफिया सैटेलाइट्स को भी इसकी भनक नहीं थी.
‘ऑपरेशन शक्ति’ के बाद ‘मिशन शक्ति’
तब प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इसी तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी थी, जिससे दुनिया चौंक गई थी. तब दुनिया के कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगाए थे. हालांकि, इसके बावजूद भारत सरकार पीछे नहीं हटी थी. खास बात ये है कि उस मिशन का नाम ‘ऑपरेशन शक्ति’ ही था. उस मिशन में अहम भूमिका निभाने वालों में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और रक्षा मंत्रालय में सलाहकार वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम भी शामिल थे.
दोनों ऑपरेशन में क्या है समानता?
– इस ऑपरेशन का नाम ‘मिशन शक्ति’ है, जबकि पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण के मिशन का नाम ‘ऑपरेशन शक्ति’ था.
– तब भी मिशन पूरी तरह चुपचाप किया गया था और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी घोषणा की थी. आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद देश को संबोधित करते हुए इसकी घोषणा की.
– भारत इंदिरा गांधी के जमाने में ही परमाणु शक्ति के तौर पर उभरा था, लेकिन उसके बाद किसी सरकार ने दोबारा परमाणु परीक्षण नहीं किया था. लेकिन तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दुनिया के विरोध को पीछे छोड़ राजनीतिक इच्छा शक्ति जताई और फैसला किया.
– अंतरिक्ष में हुए मिशन शक्ति में भी ऐसा ही हुआ है, इसे पूरा करने में भारत 2012 में ही सक्षम था, लेकिन तब से अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ था, लेकिन अब जाकर मिशन पूरा हुआ है.