सैन फ्रांसिस्कोे। सिलिकॉन वैली में भारतीय इंजीनियरों का दबदबा अब भी कायम है लेकिन डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण अब नए इंजीनियरों का आना कम हो गया है। सिलिकॉन वैली में अब स्थानीय इंजीनियरों की भर्ती बढ़ने लगी है। इसका फायदा स्थानीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले भारतीयों को भी मिल रहा है, लेकिन नई वीजा नीति के कारण भारत से सिलिकॉन वैली जाने वाले इंजीनियरों की संख्या में कमी आ रही है।
एच-1बी वीजा में कटौती की नीति
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में भारतीय प्रोफेसर दीपक राजगोपाल बताते हैं कि एच-1बी वीजा में कटौती से भारतीय इंजीनियरों की आवक प्रभावित हुई है। हालांकि अब भी वैली में भारतीय इंजनियरों की संख्या सबसे ज्यादा होने का अनुमान है लेकिन यदि अमेरिका की यह नीति जारी रही तो आगे इसमें कमी आएगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती
भारतीय प्रोफेसर राजगोपाल ने कहा, यह एकमात्र कारण नहीं है, कुछ और कारण भी हैं। जैसे, भारत की अर्थव्यवस्था के बढ़ने के कारण इंजीनियरों के लिए वहां संभावनाएं बढ़ी हैं। बीस साल पूर्व आईआईटी करने वाले तमाम योग्य इंजीनियर अमेरिका का रुख करते थे। लेकिन आज यह काफी कम हो गया है। काफी इंजीनियर भारत में अच्छी नौकरी पा रहे हैं। इधर, बड़ी संख्या में स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं।
भारत लौटने का चलन बढ़ रहा
सिलिकॉन वैली में भारतीय इंजीनियरों की एसोसिएशन की मानें तो पिछले चार-पांच साल में बड़ी संख्या में भारतीय इंजीनियर वापस भी लौटे हैं। इनमें से कई इंजीनियरों ने बेंगलुरु, हैदराबाद में नौकरी हासिल की है। कई ने स्टार्टअप शुरू किया है। पांच साल के भीतर चार हजार से भी ज्यादा इंजीनियर एवं पेशेवर भारत वापस लौटे हैं।
बाल्टीमोर में कंपनियों की रुचि बढ़ी
सर्वेक्षण एजेंसी इनडीड के अनुसार, सिलिकॉन वैली में रोजगार में कमी का दौर 2015-16 से ही शुरू हो गया था। इसकी वजह आईटी क्षेत्र में आटोमेशन एवं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल बढ़ना माना गया है। वीजा नीति बदलने के साथ-साथ रोजगार में कमी आने से भी नए इंजीनियरों के लिए अवसर कम हुए हैं। नई सॉफ्टवेयर कंपनियां सिलिकॉन वैली की बजाय बाल्टीमोर में अपने उपक्रम ज्यादा स्थापित कर रही हैं। बाल्टीमोर पूर्वी तट पर है। इससे भी सिलिकॉन वैली के रोजगार में कमी आई है।
सैन फ्रांसिस्को का जीवन स्तर महंगा
राजगोपाल कहते हैं कि उपरोक्त सभी कारण तो हैं ही, लेकिन सैन फ्रांसिस्को शहर का काफी महंगा होना भी एक बड़ा कारण बन रहा है। सिलिकॉन वैली में जो इंजीनियर सालाना डेढ़ लाख डॉलर से कम के पैकेज पर आते हैं, उनके लिए यहां गुजर-बसर करना मुश्किल है। लेकिन एंट्री लेवल पर होने वाली भर्ती में इतनी राशि नहीं मिलती है। इसलिए कंपनियों के पास स्थानीय लोगों को भर्ती करने या काम को आउटसोर्स करने के अलावा ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं।