नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद ने पांच अक्टूबर को राम मंदिर के मुद्दे पर संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक दिल्ली में बुलाई है. जानकारी के मुताबिक, देशभर के 30 से 35 बड़े संत लेंगे बैठक में हिस्सा लेंगे और राम मंदिर के साथ कारसेवा पर भी फैसला लिया जा सकता है. संतो की बैठक के लिए विश्व हिंदू परिषद ने सभी संतों को पत्र जारी किया है और राम मंदिर निर्माण के लिए निर्णय लेने के लिए बैठक का न्योता भेजा है.
बताया जा रहा है कि इस बैठक में विश्व हिंदू परिषद संत समाज ये निर्णय लेगा कि राम मंदिर मामले में आगे क्या होना चाहिए. राम मंदिर के मुद्दे पर वीएचपी के सुरेंद्र जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कब तक इंतजार किया जा सकता है. जब इस विषय पर इतना विलंब हो चुका है, तो हमने इस आंदोलन के लिए हमारी आगे की क्या नीति हो इसके लिए संतों की बैठक 5 अक्टूबर को बुलाई है. जब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस फैसले को लेकर इतनी देरी की जा चुकी है, तो हमने इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाने का फैसला किया है.
आपको बता दें दो दिन पहले ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया था कि उन्होंने कहा था कि इस विषय पर अध्यादेश लाए जाने पर विचार किया जाना चाहिए. मोहन भागवत ने कहा था कि राम जन्मभूमि पर राम मंदिर जल्दी बनना चाहिए.
क्या है राम मंदिर विवाद?
साल 1989 में राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद का ये मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा था. 30 सितंबर 2010 को जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एस यू खान और जस्टिस डी वी शर्मा की बेंच ने अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाया. फैसला हुआ कि 2.77 एकड़ विवादित भूमि के तीन बराबर हिस्से किए जाएं. राम मूर्ति वाला पहला हिस्सा रामलला विराजमान को दिया गया. राम चबूतरा और सीता रसोई वाला दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को दिया गया और बाकी बचा हुआ तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया. इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को हिन्दू महासभा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी स्थिति बरकरार रखने का आदेश दे दिया, तब से मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.