नई दिल्ली। शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने शनिवार रात सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया. साथ ही, विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने का भी अनुरोध किया है. तीनों पार्टियों की ओर से याचिका दायर करने वाले वकील सुनील फर्नांडीस ने कहा कि इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट रविवार को सुनवाई करेगा. इस मामले पर सुबह साढ़े ग्यारह बजे सुनवाई शुरू होगी. विशेष बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना इस याचिका पर सुनवाई करेंगे.
तीनों पार्टियों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए उन्हें आमंत्रित करने का राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को निर्देश देने की भी मांग की. यह भी कहा गया है कि उनके पास 144 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने ‘भेदभावपूर्ण व्यवहार’ किया और ‘‘बीजेपी द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने में उन्होंने खुद को मोहरा बनने दिया.’’
तीनों दलों ने 24 घंटे के भीतर तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने का भी अनुरोध किया, ताकि विधायकों की खरीद-फरोख्त को और महा विकास आघाडी (एमवीए) को मिलाकर किसी भी तरह से सत्ता हासिल करने के अवैध प्रयासों को रोका जा सके. फर्नांडीस ने कहा कि रजिस्ट्री के समक्ष याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया, ‘‘…राज्यपाल ने भेदभावपूर्ण तरीके से काम किया और राज्यपाल पद की गरिमा का मजाक बनाया.’’
इसमें कहा गया कि कोश्यारी का शनिवार का कृत्य ‘‘23 नवंबर को शपथ ग्रहण कराना केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर राज्यपाल के काम करने का सटीक उदाहरण है.’’ याचिका में कहा गया कि इस मामले के तथ्य दर्शाते हैं कि राज्यपाल ने ‘‘संवैधानिक पद की गरिमा को कमतर किया और अवैध तरीके से सत्ता हड़पने की बीजेपी की इच्छा के लिये खुद को मोहरा बना दिया.’’
फर्नांडीस के जरिये दायर याचिका में दावा किया गया है कि ‘‘बीजेपी की अल्पमत वाली सरकार’’ बनवाने का राज्यपाल का कार्य अवैध और असंवैधानिक है. इसमें आगे कहा गया कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन के पास 288 सदस्यीय विधानसभा में संयुक्त रूप से ‘‘स्पष्ट बहुमत’’ है और यह स्पष्ट है कि बीजेपी के पास ‘‘144 विधायकों का जरूरी आंकड़ा नहीं है.’’
फडणवीस को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित किये जाने के फैसले को रद्द करने की मांग करते हुए याचिका में कहा गया कि यह, ‘‘असंवैधानिक, मनमाना और अवैध’’ और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने एक अलग याचिका दायर कर राज्यपाल को यह निर्देश देने की मांग की है कि वह विधायकों के शपथ लेने और फ्लोर टेस्ट के लिये विशेष सत्र बुलाएं.