नई दिल्ली। इंडियन एक्सप्रेस की पूर्व पत्रकार और लखनऊ में रहकर बतौर उद्यमी काम करने वाली इरेना अकबर ने ट्विटर पर दलितों के प्रति अपनी कुंठा निकाली है। अकबर ने एक सवाल के जवाब में साफ कहा है कि वे दलितों पर यकीन नहीं करतीं। ऐसा इसलिए क्योंकि दलितों ने गुजरात दंगों में मुस्लिम मर्दों की हत्या की थी। साथ ही मुस्लिम महिलाओं का रेप भी किया था। अपने जवाब में इरेना ने दलितों को दंगे में शामिल ‘फुट सोल्जर’ कहा। इसके अलावा ये भी कहा है कि दलितों को अपर कास्ट हिंदुओं ने प्रताड़ित किया था। उनके साथ मुस्लिमों ने कुछ नहीं किया है।
इरेना ने लिखा, “गुजरात में 2002 में मुस्लिमों के हुए नरसंहार में दलित फुट सोल्जर थे। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं का रेप कर और आदमियों की हत्या करने का घृणित काम किया था। मैं उनपर कभी यकीन नहीं करती। उन्हें उनके ही ऊँची जाति वाले हिंदू भाइयों ने प्रताड़ित किया था। हमने उनके साथ कुछ नहीं किया।”
गौरतलब है कि दलितों को लेकर पत्रकार खातून की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एक महीने पहले ही मध्यप्रदेश के सागर जिले में धान प्रसाद अहिरवार नामक एक दलित को उसके मुसलमान पड़ोसियों ने आग के हवाले कर दिया था। करीब 10 दिन जिंदगी-मौत के बीच झूलने के बाद उसने दम तोड़ दिया था।
इरेना की दलित विरोधी टिप्पणी देखने के बाद जब किसी यूजर ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि मुस्लिम और दलितों के बीच इस तरह की स्थिति आरएसएस को मदद करेगी, तो इरेना यूजर पर ही भड़क गई और कहने लगीं कि दलितों ने मुस्लिमों महिलाओं का रेप किया, मर्दों की हत्या की, ये एक तथ्यात्मक बात है। उन्होंने अपनी बात को इसके बाद फिर दोहराया कि दलितों को अपर कास्ट हिंदुओं ने प्रताड़ित किया था। इसका इससे कोई लेना-देना नहीं है कि उन्होंने मुस्लिमों के संहार में सक्रिय भूमिका निभाई।
इसके बाद जब एक शुभचिंतक उन्हें समझाने उनके ट्वीट पर आया तो वह उसपर भी नाराज होती दिखीं और कहने लगीं कि वो किसी भी कीमत पर मुस्लिम बहनों का रेप करने वालों का बचाव नहीं करेंगी। बता दें अपने इन ट्विट्स में इरेना लगातार दलितों को गुजरात दंगों का ‘फुट सोल्जर’ कहती रहीं।
गौरतलब है कि साल 2002 में 27 फरवरी को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में गुजरात के गोधरा स्टेशन पर समुदाय विशेष के कुछ लोगों ने आग लगा दी थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में अधिकतर कार सेवक थे। इस घटना के बाद 28 फरवरी से 31 मार्च तक गुजरात में दंगे भड़के। इसमें 1200 से अधिक लोग मारे गए थे और साथ ही 1500 लोगों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज हुई थी।