‘1 लाख 10 हजार रुपए लेकर दिल्ली दंगों को सांप्रदायिक रंग दो’ – सीनियर जर्नलिस्ट ने किया खुलासा

नई दिल्ली। अगर आप भी विदेशी मीडिया में भारत विरोधी हिन्दूफोबिक फेक खबरों को देख-देख माथा पकड़ कर बैठ जाया करते हैं और समझ नहीं पाते कि भारत विरोधी ऐसी फेक खबरें लिखने/प्लांट करने वालों का मंतव्य होता क्या है, कौन है इस सबके पीछे? और, सोचते रह जाते हैं कि क्या ये लोग सिर्फ भारत विरोधी-हिन्दूफ़ोबिक मानसिकता के कारण ऐसा करते हैं या इन्हें इस नफरत के कारोबार को चलाने-फैलाने के एवज में प्रत्यक्ष-परोक्ष लाभों की भी बड़ी भूमिका होती है? तो दरअसल आप की सोच सही दिशा में काम कर रही है।

J Gopikrishnan@jgopikrishnan70

Why i am angry? A US Newspaper today asked me write on Delhi Riots asking how many died on Religion basis in connection with Trump’s visit. Rate was $1500 for 1000 words….My Reply was : Your President Trump rightly call you as Presstitutes @#$%^&* @#$%^ 😡😡 https://twitter.com/jgopikrishnan70/status/1233795896510279681 

J Gopikrishnan@jgopikrishnan70

Rascals … These crooks see everything on negative perspectives….at the end alll are humans….Trump is right calling them Presstitutes…Hate Indian origin journos selling their souls for few Dollars…. https://twitter.com/SinghPramod2784/status/1233794106746236928 

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इन भारत विरोधी खबरों को किस कदर प्लांट किया जाता है विदेशी मीडिया में, उसके मोडस ऑपरेंडी को वरिष्ठ पत्रकार जे गोपीकृष्णन ने एक ट्वीट कर सबके सामने नंगा कर दिया। सीनियर जर्नलिस्ट ने अपने ट्वीट में खुलासा किया कि किस तरह एक अमेरिकी अखबार ने उन्हें दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों में हुई मौतों को सांप्रदायिक आधार पर रिपोर्ट करता एक 1000 शब्द का आर्टिकल लिखने के लिए 1500 अमेरिकी डॉलर (लगभग 1 लाख 10 हजार रुपए) का ऑफर किया। ध्यान रहे कि यह दंगा ठीक उसी समय भड़काया गया था, जब अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के दौरे पर थे।

अपने ट्वीट में जे गोपीकृष्णन ने हिन्दू विरोधी/भारत द्रोही एजेंडे की कलई खोलते हुए इन अमेरिकी बेस्ड लेफ्टिस्ट मीडिया संगठनों को ‘रास्कल्स’, ‘क्रुक्स’ कहा। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा इन मीडिया संगठनों को ‘प्रेस्टिट्यूट्स’ कहना भी जायज ठहराया।

गोपीकृष्णन यहीं नहीं रुके। उन्होंने उन भारतीय पत्रकारों को भी लताड़ लगाई, जो कुछ सौ डॉलर्स के लिए अपनी आत्मा बेचते घूमते हैं।

उन्होंने आगे एक और घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मार्च 2012 में जब 2-जी स्कैम सामने आया था, उस वक्त भी एक नॉर्वे बेस्ड अखबार ने उन्हें uninor के पक्ष में रिपोर्ट लिखने के लिए 25000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 18 लाख रुपए) की पेशकश की थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था।

J Gopikrishnan@jgopikrishnan70

Based on this Economic Times PAID report – Norway PM/President wrote to Indian PM Manmohan Singh – on how bad is Indian system to foreign companies. Presstitues play all games. Some time i feel – should have pocketed $25,000 and fooled Norway guys after landing India 😎 https://twitter.com/jgopikrishnan70/status/1233806861331120128 

J Gopikrishnan@jgopikrishnan70

I don’t care money – During 2G scam days, a Norway newspaper offered me $25,000 in March 2012 in cash to write on pro-report on Uninor when i was in Oslo for a seminar. I said : NO. Later i saw it in Economic Times, the same script they gave to me 😁Presstitutes https://twitter.com/jgopikrishnan70/status/1233799465393217537 

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गोपीकृष्णन इस मामले पर से और पर्दा हटाते हुए कहते हैं कि जब उन्होंने अपनी कलम गिरवी रखने से मना कर दिया तो देखते हैं कि ठीक उसी ब्रीफ के साथ जिस पर उन्हें लिखने को कहा गया था, वह स्टोरी इकॉनमिक टाइम्स में छपती है, और उसी के हवाले से नॉर्वे के तत्कालीन नेता प्रधानमंत्री को लिखते हैं कि भारत का सिस्टम विदेशी कंपनियों को सुचारु रूप से काम करने में किस तरह से अवरोध पैदा करता है।

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PBNS Breaking:
Police complaints filed against The Wall Street Journal @WSJ with @DelhiPolice & Maharashtra Police for “defaming particular religion & spreading communal tension” with respect to alleged misreporting on & murder of IB official Ankit Sharma.

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गोपीकृष्णन की बात को सामने रखते हुए जरा उन सारी रिपोर्ट्स को याद करिए, जो मौके-बेमौके भारतीय पत्रकारों द्वारा विदेशी मीडिया के लिए लिखी जाती रही हैं। वो चाहे बरखा दत्त की रिपोर्टिंग हो या राणा अय्यूब नामक प्रोपोगैंडिस्ट का लेख, जो दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों को मुस्लिम नरसंहार कहती है या वॉल स्ट्रीट जर्नल की वह रिपोर्ट, जिसमें मुस्लिम आतंकी भीड़ द्वारा आईबी के अंकित शर्मा की 400 बार चाकू गोद कर की गई हत्या और शव नाले में फेंक देने की जगह, हिन्दू भीड़ को ही अंकित शर्मा की हत्या का दोषी ठहरा दिया जाता है। और जिसकी वजह से वॉल स्ट्रीट जर्नल के खिलाफ कंप्लेंट भी दर्ज की जाती है।

दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों को pogrom कहती राणा अयूब:

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