अहमदाबाद। गुजरात कॉन्ग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी की करारी शिकस्त के बाद बागी तेवर दिखाते हुए रविवार (मार्च 7, 2021) को प्रदेश इकाई की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए और दावा किया कि इन चुनावों में उन्हें कोई काम नहीं दिया गया और एक भी सीट पर टिकट को लेकर उनकी राय नहीं ली गई।
उन्होंने कॉन्ग्रेस छोड़ने की अटकलों को भी खारिज करते हुए कहा कि वह कॉन्ग्रेस में बने रहेंगे और पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे निभाएँगे। पटेल ने गुजरात को लेकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की समझ को लेकर भी सवाल किया और कहा कि राज्य में उनकी पार्टी विपक्ष के तौर पर संघर्ष करने में विफल रही है तथा कॉन्ग्रेस को फिर से मजबूत बनाने के लिए आलाकमान को गुजरात को समझना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विधायकों को संगठन के काम से अलग रखना होगा।
कभी पाटीदार आरक्षण आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे पटेल ने ये टिप्पणियाँ उस वक्त की हैं, जब कुछ दिनों पहले ही गुजरात में नगर निगम, नगरपालिका, जिला एवं तालुका पंचायत के चुनावों में कॉन्ग्रेस को भाजपा के मुकाबले करारी हार का सामना करना पड़ा। पार्टी सूरत नगर निगम में अपना खाता भी नहीं खोल सकी।
भाजपा ने नगरपालिका, जिला एवं तालुका पंचायतों की 8,470 सीटों में से 6,236 सीटें जीतकर कॉन्ग्रेस को काफी पीछे छोड़ दिया। कॉन्ग्रेस केवल 1,805 सीटें ही जीत पाई। पार्टी की हार के कारणों के बारे में पूछे जाने पर हार्दिक पटेल ने कहा:
‘‘हम लोग जनता का विश्वास हासिल करने में विफल रहे हैं। विपक्ष के तौर पर हमें जो संघर्ष करना चाहिए था, उसमें हम नाकाम रहे। जनता को लगता है कि विपक्ष में रहकर कॉन्ग्रेस को जो काम करना चाहिए था, वो उसने नहीं किया। इस कारण कई जगहों पर आम आदमी पार्टी को वोट मिल गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सूरत में हमारे आंदोलन के साथियों ने सिर्फ दो टिकट माँगे थे। पार्टी ने वो भी नहीं दिया। इन दो सीटों के चक्कर में हमारी 36 सीटें चली गईं।’’
किसी नेता का नाम लिए बगैर पटेल ने दावा किया, ‘‘मैं सिर्फ कार्यकारी अध्यक्ष हूँ और टिकट बँटवारे में मेरी कोई भूमिका नहीं थी। मुझे बुलाया तक नहीं गया… मुझे यही बताया गया कि कार्यकारी अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं होती है। फिर भी मैंने अपने बल-बूते पर कई सभाएँ कीं। मुझे प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी की तरफ से कोई कार्यक्रम और काम नहीं दिया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब आप लोगों के बीच नहीं जाएँगे, अपने घोषणापत्र की बातें नहीं पहुँचाएँगे तो कैसे होगा? अहमदाबाद जैसे शहर में हमारा कोई बड़ा बैनर नहीं लगा था। लोगों को लगता है कि चुनाव में कॉन्ग्रेस है ही नहीं। गुजरात में जनता भाजपा को पसंद नहीं करती, लेकिन हम लोग जनता को विश्वास नहीं दिला पा रहे हैं कि हम उनके साथ खड़े हैं।’’
पटेल के मुताबिक, ‘‘स्थानीय निकाय के चुनाव की तैयारियाँ तीन महीने से चल रही थी। तीन महीनों में मुझे एक बार भी नहीं कहा गया कि आपको यह काम करना है। पाँच हजार से अधिक सीटों पर टिकटों का बँटवारा हुआ, लेकिन एक सीट पर भी मुझसे नहीं पूछा गया कि क्या करना चाहिए, यहाँ तक कि पाटीदार बहुल क्षेत्रों में भी मेरी राय नहीं ली गई।’’
प्रदेश अध्यक्ष पद से अमित चावड़ा और नेता प्रतिपक्ष पद से परेश धनानी के इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर पटेल ने कहा, ‘‘अगर मैं भी अध्यक्ष होता तो जिम्मेदारी लेता। उन लोगों ने इस्तीफा दिया है, लेकिन जिम्मेदारी सबकी है। अब सबको मेहनत करनी पड़ेगी।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘संगठन को मजबूत बनाने के साथ ही विधायकों को संगठन से अलग रखना पड़ेगा। विधायक अपने-अपने क्षेत्र में काम करें। भाजपा में संगठन की ताकत देखिए। क्या भाजपा का कोई विधायक या सांसद अपने अध्यक्ष को टिकट को लेकर सलाह देता है?’’
यह पूछे जाने पर कि क्या कॉन्ग्रेस आलाकमान ने समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए, पटेल ने कहा, ‘‘उनको (आलाकमान) गुजरात को समझना पड़ेगा, गुजरात को महत्व देना पड़ेगा। हम 30 साल से प्रदेश की सत्ता में नहीं हैं। गुजरात को नहीं समझेंगे तो हमारे जैसे युवा कार्यकर्ता निराश हो जाएँगे। पार्टी दिन-ब-दिन गिरती जा रही है और कोई ध्यान नहीं दे रहा है।’’