असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जनसंख्या नियंत्रण नीति को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं। रविवार (04 जुलाई) को सीएम सरमा मुस्लिम समुदाय के 150 बुद्धिजीवियों और प्रतिष्ठित नागरिकों से जनसंख्या नियंत्रण नीति और परिवार नियोजन के विषय में चर्चा करेंगे। सीएम सरमा ने यह भी कहा कि वह मुस्लिम समुदाय से चर्चा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं, लेकिन जनसंख्या नियंत्रण पर उनका रुख स्पष्ट है।
सीएम के साथ बैठक में शामिल होने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों को 8 समूहों में बाँटा गया है। इनसे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, मुस्लिम महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण और स्वयं सहायता समूह के बारे में चर्चा की जाएगी तथा उनसे सुझाव लिए जाएँगे।
न्यूज18 से चर्चा करते हुए सीएम सरमा ने कहा, “असम की जनसंख्या में अल्पसंख्यकों का योगदान 37% है। इस जनसंख्या का एक बड़ा भाग वंचित और अशिक्षित है। बीते कुछ सालों में असम आर्थिक और सामाजिक पैमाने पर और भी बेहतर स्थिति में हो सकता था। आप महिलाओं को दोष नहीं दे सकते, क्योंकि उनके ऊपर परिवार का दबाव है। हालाँकि, यह समय है कि महिलाएँ अपना विरोध दर्ज करें और समाज के तौर पर हम उनके सशक्तिकरण का प्रयास करें।”
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सख्त नजर आ रहे हैं, इसके लिए वह लगातार समाज के प्रत्येक वर्ग से चर्चा कर रहे हैं और उनका यह मानना है कि इस नीतिगत निर्णय में सब की सहमति शामिल रहे। सीएम सरमा ने इस मुद्दे पर युवाओं से भी चर्चा की थी और उन्होंने यह भी दावा किया है कि उन्हें ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट यूनियन (AAMSU) के दोनों गुटों का समर्थन प्राप्त है।
सीएम सरमा ने कहा कि वह मुस्लिम समुदाय के सशक्तिकरण के लिए प्रयास करते रहेंगे और उनसे लगातार बातचीत होती रहेगी लेकिन जनसंख्या नियंत्रण नीति और परिवार नियोजन को लेकर उनकी प्रतिबद्धता स्पष्ट है। इस मुद्दे पर उठने वाले राजनैतिक विरोध पर उन्होंने यह भी कहा, “वो मुझे कुछ भी कह सकते हैं। मुझ पर एक समुदाय विशेष के खिलाफ कार्य करने का आरोप भी लगा सकते हैं, लेकिन मुझे उससे फर्क नहीं पड़ता। मेरी सरकार ने वही किया, जो तार्किक है। मुस्लिम महिलाओं का सशक्तिकरण मेरी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है।”
हाल ही में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने असम में राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए 2 बच्चों की नीति (Two-Child Policy) को लागू करने का फैसला किया। घोषणा के अनुसार, कर्जमाफी या अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ लेने के लिए इस नीति का परिपालन करना अनिवार्य होगा। हालाँकि, यह भी निर्णय लिया गया कि चाय बागानों में काम करने वाले मजदूर और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों पर फिलहाल यह नीति लागू नहीं होगी। असम सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए 2 बच्चों की नीति (Two-Child Policy) सबके लिए अनिवार्य होगी और सभी समुदायों पर इसे लागू करने के लिए चरणबद्ध तरीका अपनाया जाएगा।
सीएम सरमा ने अल्पसंख्यक समुदाय से अपील करते हुए कहा था कि वे जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन की नीति अपनाएँ। उन्होंने कहा था कि गरीबी का मुख्य कारण लगातार आबादी बढ़ना है, लिहाजा समुदाय के सभी प्रतिनिधियों को आगे आकर इस दिशा में सरकार का समर्थन करना चाहिए।