अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकी एक के बाद एक प्रांतों पर कब्जा करते जा रहे हैं। लेकिन तालिबान के खिलाफ हमेशा मुखर होकर अपनी आवाज उठाने वाली शांति की नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठन के बढ़ते हमले पर एकदम चुप्पी साधे हुए हैं। तालिबान के अमानवीय हमलों का विरोध करना और उस पर रोना तो छोड़िए एक फुसफुसाहट तक नहीं नजर आ रही है।
अफगानिस्तान में तालिबान के हमले तेज होते जा रहे हैं। उसने अब तक 10 से अधिक प्रांतीय राजधानियों को अपने कब्जे में ले लिया है। तालिबानियों की क्रूर हिंसा के कारण लोग सामूहिक रूप से विस्थापन के लिए मजबूर हैं। लेकिन पाकिस्तान की मलाला युसुफजई उनके पड़ोसी देश में क्या हो रहा है उससे पूरी तरह से बेपरवाह हैं।
अफगानिस्तान में पूरी तरह से अराजकता का साम्राज्य फैल गया है। तालिबान लगातार वहाँ की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने और अपने प्रतिगामी इस्लामी शासन को स्थापित करने की धमकी दे रहा है। लेकिन नोबेल पुरस्कार विजेता को अब तक इस हिंसा की निंदा करना तक उचित नहीं लगा। खास बात यह है कि मलाला ट्विटर सहित तमाम सोशल मीडिया काफी सक्रिय रहती हैं। बावजूद इसके तालिबानी आतंक पर उन्होंने एक भी पोस्ट नहीं किया है।
खास बात यह है कि ये वही मलाला हैं, जिन्हें अक्टूबर 2012 में पाकिस्तान की स्वात घाटी में महिलाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित करने पर तालिबान ने गोली मारी थी। गंभीर रूप से घायल हालत में उन्हें पहले पाकिस्तान के आर्मी अस्पताल में ले जाया गया औऱ फिर वहाँ से यूके रेफर किया। वहाँ इलाज के बाद वह चमत्कारिक रूप से ठीक हो गई थीं।
कंधार पर किया कब्जा
रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबानी आतंकियों ने अफगानिस्तान में गुरुवार (12 अगस्त 2021) रात एक और प्रांतीय राजधानी कंधार पर कब्जा कर लिया था। कंधार अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और देश की 34 में से 12वीं प्रांतीय राजधानी भी है।
इससे पहले बुधवार (11 अगस्त) को तालिबानी आतंकियों ने अफगान के कुंदुज प्रांत के अधिकतर हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। यहीं के कुंदुज एयरपोर्ट पर भारतीय वायु सेना द्वारा अफगान सेना को गिफ्ट किया गया Mi-35 हिंद अटैक हेलिकॉप्टर था, जिसे तालिबानी आतंकियों ने अपने कब्जे में ले लिया था। एमआई-35 को रूस द्वारा डिजाइन किया गया था।
अफगानिस्तान में तालिबान कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब काबुल से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर ही है। इसके बाद ही तालिबान द्वारा मुल्क में पूर्ण कब्जा करने की आशंकाएँ बढ़ गई हैं।