चीन हमेशा पाकिस्तान के पीछे खड़ा रहता है। भारत के खिलाफ चीन के संरक्षण के एवज में पाकिस्तान उसे अपने संसाधनों के दोहन करने का पूरा अधिकार देता है। अब T-85 टैंक से जुड़े एक मुद्दे को लेकर दोनों देशों में टकराव की स्थिति है। ये टैंक्स पाकिस्तानी सेना के पास हैं। पाकिस्तान ने इन्हें अपग्रेड करने के लिए चीन से 200 रेडियेटर माँगे थे, लेकिन चीनी कंपनी ने उन्हें 73 ही दिए। इससे पाकिस्तान नाराज़ है।
साथ ही पाकिस्तान को चीन द्वारा भेजे गए रेडियेटर्स में बदलाव भी करना है, लेकिन चीन ने उसके इस निवेदन को भी ठुकरा दिया है। हालाँकि, अन्य मामलों में चीन अब तक पाकिस्तान का समर्थन रहा है और भारत को तेवर दिखाने के लिए दोनों एक-दूसरे का इस्तेमाल करते हैं। पाकिस्तान ने कोरोना की वैक्सीन भी चीन से ही लाकर बनाई। अमेरिका को आँखें दिखाने के लिए चीन ने पाकिस्तान को अपने पाले में कर रखा है।
ताज़ा विवाद ‘चीन नॉर्थ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉर्पोरेशन (NORINCO)’ और पाकिस्तान के ‘हैवी इंडस्ट्रीज टेक्सिला (HIT)’ के बीच चल रहा है। T-85 टैंक के एक महत्वपूर्ण पार्ट को लेकर ये विवाद शुरू हुआ है। HIT असंतुष्ट है और चाहता है कि चीन ने जो रेडियेटर दिए हैं, उनमें बदलाव किए जाएँ। जबकि NORINCO का कहना है कि इन रेडिएटर्स में किसी भी प्रकार के बदलाव टैंक के इंजन के हीट और पॉवर सिस्टम पर असर डाल सकता है।
Dispute Between China And Pakistan Over Upgradation Of Pakistan Army T-85 Tank : Did China destroy Pakistani tanks? ‘Battle’ started between two close friends https://t.co/fGNz7cK1VI
— Mcezone (@Mcezone) August 30, 2021
अगर टैंक का रेडियेटर सही से काम नहीं करता है तो टैंक काफी गर्म हो सकता है, जिसके बाद इसके पूर्णरूपेण बंद हो जाने की आशंका रहती है। पाकिस्तानी सेना को बड़ा नुकसान हो रहा है। ये करार 2012 में ही हस्ताक्षरित किए गए थे। पाकिस्तान चाहता है कि अब नए सिरे से करार किया जाए। दोनों के बीच 220 अल-खालिद टैंक बनाने के लिए करार हुआ था। 110 टैंक मिलने के बाद पाकिस्तान ने मन बदल लिया।
इसके बाद वो कहने लगा कि उसे बाकी के 110 टैंकों की जगह चीन में निर्मित व डिजाइन किए गए VT-4 टैंक चाहिए। पाकिस्तान कई सालों से हथियारों व सैन्य उपकरणों के लिए चीन पर ही निर्भर रहा है और इस करार के होने या न होने के बाद भी ये स्थिति बदलने वाली नहीं है। पाकिस्तान के पास सैन्य उपकरणों या हथियार के निर्माण की काफी घटिया व्यवस्था है। उसने समय-समय पर अमेरिका से भी सैन्य उपकरण लिए हैं।